हिंदी
रूस ने भारत को Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान की तकनीक देने का प्रस्ताव रखा है, जिससे भारतीय एयर डिफेंस और मजबूत होगी। पश्चिमी दबावों के बावजूद रूस भारत का प्रमुख तेल सप्लायर बना हुआ है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ रहा है।
भारत-रूस संबंध मजबूत (सोर्स- गूगल)
Moscow: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस ने भारत के सामने एक महत्वपूर्ण सैन्य प्रस्ताव रखा है। मॉस्को ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान की तकनीक साझा करने की पेशकश की है। इस कदम से भारतीय एयर डिफेंस पावर और भी मजबूत हो जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस-भारत के बीच इस प्रस्ताव पर चर्चा दोनों देशों की सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगी। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत अपनी एयर डिफेंस क्षमताओं को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने कहा कि पश्चिमी देशों की सारी रुकावटों के बावजूद रूस भारत को तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है। उन्होंने बताया कि मॉस्को हमेशा दिल्ली को एनर्जी संसाधनों की खरीद में बेहतर डील देने के लिए तैयार है।
पश्चिमी देश लगातार भारत पर दबाव डाल रहे हैं कि वह रूस से तेल और एनर्जी संसाधन न खरीदे। इसके बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों और अर्थव्यवस्था की जरूरतों को देखते हुए तेल खरीदना जारी रखेगा।
Su-57 जेट देने का प्रस्ताव (सोर्स- गूगल)
रूस-भारत संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में तेजी आई है। डेनिस अलिपोव ने कहा, “पिछले कुछ सालों में सहयोग बढ़ा है, जिसका कुछ हद तक श्रेय पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने की क्षमता को जाता है।”
अमेरिका ने रूस की बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाया है। राजदूत ने कहा कि इस कदम से तेल सप्लाई पर असर पड़ सकता है, लेकिन रूस भारत का प्रमुख तेल सप्लायर बना रहेगा।
रूसी राजदूत ने भारत-रूस संबंधों पर पश्चिमी देशों के दबाव को खारिज किया। उन्होंने कहा, “भारत-रूस संबंधों को कमजोर करने के लिए पश्चिमी देशों के मुद्दों को थोपने की कोशिशें भारत ने मजबूती से मुकाबला किया है।” डेनिस अलिपोव ने भारत की दोस्ती की भी तारीफ की और कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए अवैध और एकतरफा प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देता।