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भारत ने पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो नेताओं को एक साथ गणतंत्र दिवस में आमंत्रित किया है। यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं का भारत आगमन रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को नई मजबूती देगा। यह कदम भारत की वैश्विक कूटनीति में बढ़ते प्रभाव का संकेत है।
गणतंत्र दिवस 2026 पर नहीं होंगे पुतिन और ट्रंप
New Delhi: भारत ने 2026 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस बार समारोह में न अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप होंगे, न रूस के व्लादिमीर पुतिन- बल्कि पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो शीर्ष नेता एक साथ भारत के मुख्य अतिथि होंगे। सूत्रों के मुताबिक भारत ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा को गणतंत्र दिवस 2026 के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।
यह फैसला भारत की विदेश नीति में एक नया अध्याय जोड़ता है और यह संदेश देता है कि भारत वैश्विक मंच पर यूरोपीय संघ के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस आमंत्रण की औपचारिक प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही नई दिल्ली और ब्रसेल्स इस पर आधिकारिक घोषणा करेंगे।
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भारत की परंपरा रही है कि हर साल गणतंत्र दिवस पर किसी एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। लेकिन वर्ष 2026 में यह पहली बार होगा जब किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो शीर्ष नेता एक साथ इस राष्ट्रीय समारोह में शामिल होंगे।
गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि चुनना केवल एक औपचारिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को दर्शाता है। यह तय करता है कि भारत आने वाले वर्षों में किन देशों या संगठनों के साथ अपने कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को प्राथमिकता देना चाहता है।
यूरोपीय संघ के नेताओं को आमंत्रित करने का निर्णय भारत-ईयू साझेदारी की बढ़ती गहराई का प्रतीक है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ रहा है।
हर साल 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस मनाता है, जो 1950 में संविधान लागू होने की याद दिलाता है। यह आयोजन न केवल भारत की लोकतांत्रिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया के साथ उसकी साझेदारी को भी प्रदर्शित करता है।
उर्सुला वॉन डेर लेयेन और एंटोनियो कोस्टा
2025 में गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि थे। उससे पहले 2024 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस समारोह की शान बढ़ाई थी। अब 2026 में यूरोपीय संघ के दो शीर्ष नेताओं की मेजबानी भारत के कूटनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ देगी।
भारत और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के बीच पिछले कुछ वर्षों में रिश्ते उल्लेखनीय रूप से मजबूत हुए हैं। फरवरी 2025 में यूरोपीय आयोग के शीर्ष प्रतिनिधियों की भारत यात्रा के बाद दोनों पक्षों के बीच संवाद और सहयोग में तेजी आई है।
20 अक्टूबर 2025 को यूरोपीय संघ ने एक नया रणनीतिक एजेंडा मंजूर किया, जिसका उद्देश्य भारत-ईयू संबंधों को "अगले दशक के लिए साझेदारी" में बदलना है। इस एजेंडे में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देना, तकनीकी नवाचार में सहयोग, रक्षा साझेदारी को मजबूत करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को मिलकर बढ़ाना शामिल है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच वर्तमान में वार्षिक व्यापार लगभग 150 अरब डॉलर का है। दोनों पक्ष इसे अगले पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखे हुए हैं।
यूरोपीय संघ के नेताओं को मुख्य अतिथि बनाना भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम कदम है। एक ओर यह भारत की "मल्टी-अलाइनमेंट" नीति को मजबूत करता है, जिसमें भारत पश्चिम और पूर्व दोनों के साथ संतुलन बनाए रखता है, वहीं दूसरी ओर यह संदेश देता है कि भारत अब वैश्विक कूटनीति का केंद्र बन रहा है।
इस आमंत्रण को रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। यूरोपीय संघ और भारत दोनों ही बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के समर्थक हैं और वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास पर समान विचार रखते हैं। यह साझेदारी आने वाले वर्षों में वैश्विक नीति निर्धारण में अहम भूमिका निभा सकती है।
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