

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-रूस रिश्तों को विशेष रणनीतिक साझेदारी बताया। तेल खरीद और विदेश नीति पर भारत के रुख की खुलकर तारीफ की। लावरोव ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल में मुलाकात चीन के तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
भारत-रूस संबंध
Moscow: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और रूस के बीच दशकों पुराने मजबूत रिश्तों को एक बार फिर "विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" के रूप में रेखांकित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच सहयोग बहुआयामी है, जो केवल रक्षा या व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी, वित्तीय, स्वास्थ्य, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे SCO (शंघाई सहयोग संगठन) और BRICS तक फैला हुआ है।
लावरोव ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल में मुलाकात चीन के तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इस बातचीत में कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर 2025 में भारत यात्रा पर आ सकते हैं, जबकि भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भी जल्द रूस की यात्रा करेंगे। लावरोव स्वयं भी भारत आने की योजना बना रहे हैं।
SCO शिखर सम्मेलन
जब लावरोव से भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर अमेरिकी दबाव के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने बेबाकी से कहा कि भारत अपनी विदेश नीति खुद तय करता है और वह पूरी तरह सक्षम है यह तय करने के लिए कि वह किस देश से क्या खरीदे। लावरोव ने प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि भारत आत्मनिर्भर और आत्मसम्मान वाला देश है, जैसा कि तुर्किए भी है।
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उन्होंने अमेरिका के रवैये पर तंज कसते हुए कहा, 'अगर अमेरिका भारत को तेल बेचना चाहता है, तो वह शर्तों पर बातचीत कर सकता है, लेकिन यह भारत का आंतरिक मामला है कि वह कहां से क्या खरीदता है।'
लावरोव ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध और रणनीतिक सहयोग, भारत-रूस साझेदारी के रास्ते में कोई बाधा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 'तीसरे देश के साथ भारत के रिश्तों पर रूस को कोई आपत्ति नहीं है।' रूस भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों का सम्मान करता है।
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भारत और रूस के बीच संबंध केवल औपचारिक नहीं बल्कि "विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" के अंतर्गत आते हैं। इसका अर्थ है कि दोनों देश एक-दूसरे के दीर्घकालिक हितों को समझते हैं और एक-दूसरे के साथ विश्वसनीय सहयोगी की तरह काम करते हैं।