

भारत और रूस ने 21 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान अपने रणनीतिक संबंधों को और मज़बूत करते हुए व्यापार और ऊर्जा सहयोग को संतुलित और दीर्घकालिक तरीके से आगे बढ़ाने पर जोर दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से हुई बातचीत में कई मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव
New Delhi: भारत और रूस के बीच पारंपरिक और रणनीतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को एक व्यापक बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा सहयोग, आतंकवाद से लड़ाई और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य पर सहयोग को लेकर कई अहम फैसले लिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध विश्व युद्ध के बाद के सबसे मजबूत और स्थिर संबंधों में से एक हैं। उन्होंने गैर-शुल्क (टैरिफ) और नियामक बाधाओं को शीघ्र हटाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि फार्मा, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में भारत के निर्यात को रूस में बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में निवेश और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने की बात पर भी जोर दिया।
जयशंकर ने कहा कि आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भारतीय कुशल श्रमिक रूस की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने उर्वरक आपूर्ति को दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित करने के लिए भी रणनीतिक योजना बनाने पर सहमति व्यक्त की।
बैठक में जयशंकर ने रूसी सेना में सेवा कर रहे भारतीय नागरिकों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ भारतीयों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन कुछ अभी भी लापता हैं। भारत ने रूस से इन मामलों को शीघ्र सुलझाने की उम्मीद जताई है।
जयशंकर और लावरोव ने यूक्रेन, अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी चर्चा की। भारत ने एक बार फिर संवाद और कूटनीति को मतभेदों के समाधान का सबसे उचित तरीका बताया। दोनों नेताओं ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
जयशंकर की रूस यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ 50% तक बढ़ाने और रूसी तेल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद भारत ने अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है।
जयशंकर ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की और वर्ष के अंत में प्रस्तावित भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा की। यह शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक योजनाओं की नींव रखने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।