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राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत पहुंचने से पहले दोनों देशों के बीच बड़ी डिफेंस डील की खबर सामने आई है। भारत और रूस के बीच 2 बिलियन डॉलर (करीब 16,700 करोड़ रुपये) की न्यूक्लियर सबमरीन डील अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं।
प्रतीकात्मक छवि
New Delhi: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत पहुंचने से पहले दोनों देशों के बीच बड़ी डिफेंस डील की खबर सामने आई है। भारत और रूस के बीच 2 बिलियन डॉलर (करीब 16,700 करोड़ रुपये) की न्यूक्लियर सबमरीन डील अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं। करीब 10 साल से इस डील को अंतिम रूप देने पर बात चल रही थी। दोनों देश इस सौदे पर सहमत हो गए हैं और भारतीय अधिकारी अगले साल नवंबर में एक रूसी शिपयार्ड का दौरा करेंगे।
रूस से भारत की 2 अरब डॉलर की नई परमाणु सबमरीन खरीदने की डील का दावा गलत निकला है। सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत ने पुतिन की यात्रा से पहले रूस के साथ नई सबमरीन डील फाइनल कर ली है। हालांकि, सरकारी फैक्ट एजेंसी PIB Fact Check ने इन रिपोर्टों को भ्रामक बताया।
एजेंसी के मुताबिक भारत और रूस के बीच कोई नई डील साइन नहीं हुई है। जिस सबमरीन प्रोग्राम की बात हो रही है, उसका कॉन्ट्रैक्ट मार्च 2019 में ही हुआ था। डिलीवरी में देरी के चलते अब नई डिलीवरी टाइमलाइन 2028 तय की गई है।
सूत्रों ने बताया कि कीमत को लेकर मतभेदों की वजह से लीज़ पर बातचीत बार-बार रुकी रही थी। नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा कि बातचीत बेहद गोपनीय थी। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने अब शर्तों को फाइनल कर दिया है। भारतीय अधिकारी नवंबर में एक रूसी शिपयार्ड में सबमरीन प्रोडक्शन फैसिलिटी में प्रोग्रेस का रिव्यू करने गए थे।
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भारत परमाणु ऊर्जा चालित अटैक सबमरीन के निर्माण की भी तैयारी कर रहा है, जिन्हें दुश्मन की पनडुब्बियों और सतह पर मौजूद जहाजों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। अब तक केवल कुछ ही देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाले सबमरीन को तैनात करने और संचालित करने की तकनीक थी। दक्षिण कोरिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां बनाने के लिए भी अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है।