

अमेरिकी कंपनी एली लिली एंड कंपनी ने हैदराबाद में 1 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। यह कदम भारत की फार्मा क्षमता को मान्यता देता है और ट्रंप की टैरिफ नीति को चुनौती देता है। निवेश से नई नौकरियां, उत्पादन क्षमता और हेल्थटेक ग्रोथ को बल मिलेगा।
अमेरिकी फार्मा कंपनी एली लिली
New Delhi: अमेरिका की टैरिफ-आधारित नीति को दरकिनार करते हुए, अमेरिकी फार्मा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Co.) ने भारत में 1 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 8,879 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की है। इस ऐलान से न सिर्फ भारत के हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर में नई ऊर्जा आई है, बल्कि अमेरिकी कंपनियों के भारत की ओर रुख करने के संकेत भी मिले हैं- वो भी तब जब अमेरिका में टैरिफ को देश की आर्थिक ताकत बताया जा रहा है।
इस निवेश का मुख्य उद्देश्य भारत में कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन क्षमताओं को मजबूत करना है। एली लिली ने बताया कि वह तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक नया केंद्र स्थापित करेगी, जो उसके भारत स्थित संचालन के लिए मुख्य हब के रूप में कार्य करेगा। यह सेंटर अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और नवाचार सेवाओं से लैस होगा और भारत समेत वैश्विक जरूरतों की आपूर्ति करेगा।
इस साल की शुरुआत में एली लिली ने भारत में डायबिटीज और मोटापे की दवा 'मौन्जारो' (Mounjaro) लॉन्च की थी, जिसकी वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। जानकारों का मानना है कि इस निवेश से कंपनी भारत में मौंजारो जैसी दवाओं का उत्पादन बढ़ाकर स्थानीय बाजार और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को मजबूत करेगी।
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने इस निवेश पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, हैदराबाद अब ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन का केंद्र बन रहा है। एली लिली का यह कदम राज्य में निवेश और रोजगार के नए अवसर लेकर आएगा और फार्मा क्षेत्र को नई दिशा देगा।
एली लिली ने स्पष्ट किया है कि वह हैदराबाद में स्थानीय दवा कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी करेगी, जिससे न केवल दवाओं का उत्पादन और वितरण बेहतर होगा, बल्कि मोटापा और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं भारत में अधिक सुलभ और किफायती बन सकेंगी।
ट्रंप की टैरिफ-आधारित नीति दरकिनार
कंपनी के इंटरनेशनल बिजनेस के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट पैट्रिक जॉनसन ने कहा, "हम वैश्विक स्तर पर अपनी मैन्युफैक्चरिंग और मेडिसिन सप्लाई क्षमता को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत में हमारा यह निवेश उसी रणनीति का अहम हिस्सा है।"
विशेषज्ञों के अनुसार, यह निवेश दर्शाता है कि भारत वैश्विक फार्मा निवेश का केंद्र बनता जा रहा है। मजबूत तकनीकी आधार, प्रतिस्पर्धी लागत और कुशल मानव संसाधन भारत को फार्मा और हेल्थटेक में वैश्विक लीडर बनाने की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
यह निवेश ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को अमेरिकी आर्थिक मजबूती का कारण बता रहे हैं, लेकिन एली लिली जैसे अमेरिकी दिग्गज भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाकर ग्लोबल डिमांड को लोकल सॉल्यूशंस के जरिए पूरा करने पर जोर दे रहे हैं।
यह कदम न केवल भारत में चिकित्सा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘हेल्थ फॉर ऑल’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों को भी मजबूती देगा। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है और भारत की वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में भागीदारी बढ़ेगी।