

तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू, उनके पिता अजय मिश्रा टेनी और अमनदीप सिंह पर गवाही दबाने और प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 4 अक्टूबर 2023 को दर्ज किया है।
अजय मिश्रा टेनी और आशीष मिश्रा
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और उनके पिता पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और निघासन ब्लॉक प्रमुख पति अमनदीप सिंह के खिलाफ धमकाने और गवाही प्रभावित करने के आरोप में नया मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा उत्तर प्रदेश के पढुआ थाना में 4 अक्टूबर को दर्ज किया गया, जिसमें बलजिंदर सिंह नामक चश्मदीद गवाह ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने गवाही बदलने का दबाव डाला और मना करने पर उन्हें धमकियां दीं।
तिकुनिया कांड के चश्मदीद गवाह बलजिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि 15 अगस्त 2023 को अमनदीप सिंह, जो कि निघासन ब्लॉक प्रमुख का पति हैं, उनके घर पहुंचे और गवाही बदलने का दबाव डाला। बलजिंदर के अनुसार, जब उन्होंने गवाही बदलने से इंकार किया, तो अमनदीप सिंह ने उन्हें धमकी दी और पैसे का लालच भी दिया। इस पूरी घटना को गवाह ने अपने फोन में रिकॉर्ड किया, जिसे उसने बाद में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्डिंग को प्रमाण मानते हुए पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
तिकुनिया कांड की घटना तीन अक्तूबर 2021 को हुई थी, जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में चार किसानों, एक पत्रकार और तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो गई थी। इस मामले में दो प्रमुख मुकदमे दर्ज किए गए थे। एक मुकदमा किसानों द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें आरोप था कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू ने अपनी गाड़ी से किसानों को रौंदा और फायरिंग की। दूसरा मुकदमा भाजपा कार्यकर्ता सुमित जायसवाल ने किसानों के खिलाफ दर्ज कराया था। एसआईटी ने इन आरोपों की जांच की और न्यायालय में चार किसानों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
तिवकुनिया कांड में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू और उनके पिता अजय मिश्रा टेनी, जिन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहते हुए विवादों का सामना किया, इस समय भी कानून के शिकंजे में हैं। इस घटना के बाद से ही आशीष मिश्रा और उनके परिवार के खिलाफ कई आरोप लगते रहे हैं और उनकी भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। बलजिंदर सिंह के द्वारा गवाही बदलने का आरोप अब इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है।
तिकुनिया कांड के तीन साल बाद, जब गवाही बदलने और धमकाने के आरोप सामने आए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और इस पर तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया। पुलिस ने 4 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज कर लिया है और अब मामले की जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गवाह के आरोपों की पुष्टि के लिए जरूरी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस मामले में नया मोड़ लेकर आया है। पुलिस और स्थानीय प्रशासन को अब कार्रवाई करने का दबाव है, क्योंकि गवाह के आरोप और रिकॉर्डिंग का मामला सीधे तौर पर आरोपियों के खिलाफ खड़ा हो रहा है। अदालत का आदेश यह भी बताता है कि गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है, ताकि वे दबाव और धमकी के बावजूद न्याय व्यवस्था में अपनी भूमिका निभा सकें। इस मामले में आरोपी नेता और उनके परिवार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।