

विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने भारत-रूस के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक, बैंकिंग और फाइनेंशियल व्यवस्था को बेहतर बनाना बेहद ज़रूरी है।
रूस दौरे पर विदेश मंत्री जयशंकर
New Delhi: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन दिनों रूस के दौरे पर हैं, जहां वह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से 21 अगस्त को मुलाकात करेंगे। यह दौरा भारत-रूस के व्यापारिक रिश्तों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि बीते कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, इस बढ़ते व्यापार के साथ एक गंभीर समस्या भी सामने आई है- व्यापार असंतुलन। जयशंकर ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि भारत-रूस व्यापार घाटा अब 58.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। जो पहले की तुलना में नौ गुना ज्यादा है। 2021 में यह घाटा महज 6.6 अरब डॉलर था। उन्होंने चेताया कि इस असंतुलन को अगर जल्द नहीं सुधारा गया तो यह दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक व्यापारिक स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है।
तेजी से बढ़ा व्यापार
जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत और रूस के बीच व्यापार 2021 में जहां 13 अरब डॉलर था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 68 अरब डॉलर हो गया है। यह पांच गुना से भी ज्यादा की वृद्धि है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में मजबूती का संकेत देता है। लेकिन इसके साथ ही आयात और निर्यात के बीच असंतुलन भी बढ़ा है, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
असंतुलन दूर करने के लिए क्या हैं सुझाव?
जयशंकर ने कहा कि टैरिफ और नॉन-टैरिफ (बिना शुल्क वाले) व्यापारिक बाधाओं को खत्म करना जरूरी है। इससे व्यापार प्रक्रिया में तेजी आएगी और कारोबारी समय व लागत दोनों बचा पाएंगे। भारत का प्रयास है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 100 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाए, लेकिन यह तभी संभव है जब व्यापार में संतुलन स्थापित किया जाए।
लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल सिस्टम होगा मजबूत
रूस की तरफ से भी व्यापारिक ढांचे को बेहतर करने की बात कही गई है। रूस ने जोर दिया है कि लॉजिस्टिक, बैंकिंग और फाइनेंशियल चेन को मजबूत करना चाहिए ताकि दोनों देशों को लाभ मिल सके। रूस मानता है कि द्विपक्षीय समझौतों के ज़रिए व्यापार में लचीलापन लाया जा सकता है।
अमेरिका की भूमिका और टैरिफ तनाव
इस बीच अमेरिका की ओर से भारत को लेकर टैरिफ बढ़ाए गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत पर पहले 25% टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 50% कर दिया गया। ट्रंप ने कई बार भारत को रूस से तेल खरीदने को लेकर चेतावनी दी थी, जबकि अमेरिका और चीन दोनों ही रूस से तेल खरीदते रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में चीन को टैरिफ में राहत दी, लेकिन भारत को राहत देने से इनकार किया। इसके बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा और तेल खरीद जारी रखी।