तसलीमा नसरीन ने हसीना की मौत की सजा पर जताई नाराजगी, जानें क्या कहा?

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल से मौत की सजा मिलने के बाद देश में हिंसा भड़क गई है। निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने सजा को अन्याय बताते हुए विरोध किया, हालांकि उन्होंने हसीना पर देश को बर्बाद करने के गंभीर आरोप भी लगाए।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 19 November 2025, 1:36 PM IST
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Dhaka: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल द्वारा मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश में उथल-पुथल मची है। इस फैसले ने राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्मा दिया है। इस बीच निर्वासित लेखिका और हसीना की कड़ी आलोचक तसलीमा नसरीन ने भी इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

भले ही तसलीमा लंबे समय से हसीना की नीतियों की मुखर विरोधी रही हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक या विपक्षी पर होने वाले अन्याय का विरोध करना जरूरी है भले ही वह आपका दुश्मन ही क्यों न हो।

हसीना ने बांग्लादेश को बर्बाद किया

एक्स (Twitter) पर लंबा पोस्ट साझा करते हुए तसलीमा नसरीन ने आरोप लगाया कि शेख हसीना के शासन ने बांग्लादेश की सामाजिक और शैक्षिक व्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि हसीना ने अनगिनत मस्जिदें और मदरसे बनवाए, जिन्हें वे जिहादी फैक्ट्रियां मानती हैं।

तसलीमा के अनुसार, हसीना सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया और मदरसा डिग्री को यूनिवर्सिटी डिग्री के बराबर मान लिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। उनका यह भी कहना है कि धार्मिक उग्रवादियों को खुली छूट दी गई, जिन्होंने युवाओं का ब्रेनवॉश किया, जबकि स्वतंत्र विचारकों पर बढ़ते जिहादी हमलों के बावजूद सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

मुझे देश से भगा दिया गया

तसलीमा नसरीन ने आरोप लगाया कि 1999 में अपनी बीमार मां से मिलने बांग्लादेश लौटने के कुछ ही महीनों बाद हसीना सरकार ने उन पर ‘धार्मिक भावनाएं आहत करने’ का केस दर्ज करवा दिया और उन्हें दोबारा देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

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उन्होंने कहा कि उनका बांग्लादेशी पासपोर्ट कभी रिन्यू नहीं किया गया और विदेशी पासपोर्ट पर भी उन्हें बांग्लादेश का वीजा देने से मना कर दिया गया। तसलीमा का दावा है कि हसीना के आदेश पर दूतावास ने उनके पावर ऑफ अटॉर्नी दस्तावेज़ को अटेस्ट करने से भी इनकार कर दिया, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पुरस्कार-विजेता आत्मकथा ‘आमार मेयेबेला’ पर भी हसीना सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था।

फर्जी केस और मौत की सजा

अपने निजी और वैचारिक मतभेदों के बावजूद तसलीमा नसरीन ने कहा कि शेख हसीना पर फर्जी मुकदमे दर्ज करना और उन्हें मौत की सजा सुनाना गलत है। उन्होंने लिखा, “इतने अत्याचार झेलने के बाद भी मैं अन्याय के खिलाफ खड़ी हूं। चाहे अन्याय दुश्मन के साथ ही क्यों न हो, उसका विरोध जरूरी है।”

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बांग्लादेश में हिंसा और तनाव

  • हसीना को सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए हैं।
  • राजधानी ढाका सहित कई शहरों में प्रदर्शन
  • सड़क जाम, आगजनी और पुलिस तैनाती
  • राजनीति में उबाल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को और अस्थिर कर सकता है।

Location : 
  • Dhaka

Published : 
  • 19 November 2025, 1:36 PM IST