

नेपाल सरकार ने फेसबुक, एक्स और व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध को सोमवार को हटा लिया है। तीन दिन से जारी इस बैन के खिलाफ देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 20 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। आपात कैबिनेट बैठक के बाद सरकार ने बैन हटाने का ऐलान किया। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी अपडेट
नेपाल से ग्राउंड रिपोर्ट
Kathmandu: नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाए गए बैन को आखिरकार वापस ले लिया है। यह फैसला उस वक्त लिया गया जब देशभर में बैन के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो उठे। युवाओं के नेतृत्व में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने तीन दिनों में इतना उग्र रूप ले लिया कि इसमें अब तक 20 लोगों की जान चली गई और 300 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक, तीन दिन पहले सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर फेसबुक, एक्स (ट्विटर), व्हाट्सएप समेत 26 प्रमुख सोशल मीडिया एप्स पर रोक लगा दी थी। सरकार के इस कदम को आम जनता ने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया और इसके विरोध में सड़कों पर उतर आई। राजधानी काठमांडू से लेकर अन्य बड़े शहरों तक युवाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कई जगह झड़पें हुईं, जिनमें पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा।
नेपाल से बड़ी खबर: सोशल मीडिया पर लगा बैन अब हटा, सरकार ने की इसकी घोषणा; प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील #Nepalprotest #Socialmedia pic.twitter.com/sp5JKbXi1h
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 8, 2025
बिगड़ते हालात को देखते हुए सोमवार को नेपाल कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने घोषणा की कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को दोबारा चालू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं का सम्मान करती है और लोकतंत्र में संवाद ही सबसे बड़ा हथियार है।
इस घटनाक्रम पर विपक्षी दलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाने का फैसला तानाशाही रवैये की झलक है और इससे लोकतंत्र कमजोर होता है। वहीं, नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों ने भी इस बैन को अलोकतांत्रिक बताते हुए सरकार की आलोचना की।
बैन हटने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन हिंसा में हुई मौतों और घायलों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब लोगों की निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार और जनता के बीच संवाद कैसे आगे बढ़ेगा और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे।