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भीलवाड़ा के पटेलनगर सेक्टर-11 में सड़क और नाली निर्माण की मांग को लेकर सोमवार को यूआईटी कार्यालय में बड़ा हंगामा हो गया। गुस्साए लोगों ने सचिव ललित गोयल IAS की कार का घेराव किया और हवा निकालने तक का प्रयास किया। सचिव ने थाने में मामला दर्ज कराया।
गुस्साए लोगों ने किया प्रदर्शन
Bhilwara: पटेलनगर सेक्टर-11 में लंबे समय से अधूरे पड़े सड़क और नाली निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय लोगों का गुस्सा आखिरकार सोमवार को फूट पड़ा। यूआईटी कार्यालय में अचानक माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी अपनी मांगों को लेकर वहां पहुंचे और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि कई वर्षों से लगातार आवेदन देने के बावजूद उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
विरोध के दौरान स्थिति तब बिगड़ गई जब भीड़ ने यूआईटी सचिव ललित गोयल IAS की कार को घेर लिया। कुछ लोगों ने कार की हवा निकालने का भी प्रयास किया, जिससे मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। स्थिति के संवेदनशील होने पर प्रशासन तुरंत हरकत में आया और सचिव की ओर से सुभाषनगर थाने में औपचारिक रिपोर्ट दी।
थानाधिकारी कैलाश कुमार विश्नोई ने बताया कि मोखमपुरा निवासी सत्यनारायण गुग्गड़ सहित कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दी गई है। पुलिस अब पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच कर रही है और यह समझने की कोशिश कर रही है कि विरोध शांतिपूर्ण मांग थी या पूर्व नियोजित अव्यवस्था फैलाने का प्रयास।
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा को जन्म दिया है। एक ओर भाजपा समर्थित निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भीलवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर मुलाकात कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनकी ही टीम का एक कार्यकर्ता यूआईटी में हंगामा कर रहा था। इस विरोध ने सरकार की छवि पर सवाल खड़े कर दिए।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह दोहरी रणनीति जनता को भ्रमित करती है। जब ऊपर स्तर पर विकास की मांग हो रही हो और उसी समय स्थानीय स्तर पर सरकार के खिलाफ हंगामा खड़ा किया जाए तो इससे नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वयहीनता उजागर होती है। इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है, क्योंकि विकास कार्यों में देरी और अव्यवस्था बढ़ती है।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि वे महीनों से सड़क और नालियों की समस्या से जूझ रहे हैं। मानसून के दौरान जलभराव और कीचड़ की स्थिति विकराल रूप ले लेती है, लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया। इससे मजबूर होकर उन्हें विरोध करना पड़ा। उनका कहना है कि विकास की मांग कोई अपराध नहीं, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है।
वहीं यूआईटी की ओर से कहा गया है कि सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना गंभीर अपराध है। पूरे मामले की जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। प्रशासन का कहना है कि अगर किसी भी प्रकार का अवैध दबाव बनाया गया है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
घटना के बाद से पटेलनगर सेक्टर-11 और आसपास के क्षेत्रों में माहौल काफी गर्म है। लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनकी बुनियादी समस्याओं का समाधान जल्द होगा। पुलिस मामले की हर पहलू से जांच कर रही है और जल्द ही रिपोर्ट सामने आने की संभावना है।