

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर एक दूसरे में समायोजित करने का फैसला लिया है तो वहीं सरकार के इस फैसले का आम जनमानस में विरोध देखने को मिल रहा है। देखिये क्या बोली आम जनता
समाजसेवी धर्मवीर राही
Mainpuri: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर एक दूसरे में समायोजित करने का फैसला लिया है तो वहीं सरकार के इस फैसले का आम जनमानस में विरोध देखने को मिल रहा है। सरकार के इस फैसले के चलते डाइनामाइट न्यूज़ से संवेदना फाऊंडेशन के चेयरमैन और समाजसेवी धर्मवीर राही ने खास बातचीत की और सरकार के फैसले का विरोध जताया है तो वही धर्मवीर राही ने राष्ट्रपति के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश से सरकार के इस फैसले को वापस कराने की बात की है।
धर्मवीर राही ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी पर निशाना साघते हुए कहा आप तो संत है, आपको बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए आगे आना चाहिए और इस फैसले को वापिस लेना चाहिए, नहीं तो आने वाली पीढियां आपको और इतिहास को कभी माफ नहीं करेगा। यदि कार्रवाई करनी ही है तो प्रावेट स्कूलों के खिलाफ कर जो मनमाने ढंग से फीस ले रहे हैं। सरकार के फैसले का विरोध प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिल रहा हैं, सराकर के रुख से पहले देखना होगा कोर्ट इस मामले पर क्या कहता है, क्योंकि मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच चुका हैं।
मामला पहुंचा हाईकोर्ट
प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों के विलय करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई जारी है। इस मामले में विलय आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाओं पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को नियत की है।
पहली याचिका, सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्रथामिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों ने दाखिल की है। जबकि, इसी मामले में एक अन्य याचिका भी दाखिल हुई है। इनमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया है, जिसके तहत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है।
याचियों ने इसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला कहा है। साथ ही मर्जर से छोटे बच्चों के स्कूल दूर हो जाने की परेशानियों का मुद्दा भी उठाया गया है। याचिकाओं में, प्राथमिक स्कूलों की चल रही मर्जर की कारवाई पर तत्काल रोक लगाने की भी गुजारिश की गई है।