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उत्तरखंड में वन्य जीवों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। चमोली के थेंग गांव में भालुओं के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है। लोग डर के साये में जी रहे हैं। लोग अपने रोजमर्रा के कार्य के लिए बाहर निकलने में कतरा रहे हैं। ग्रामीण भालुओं को पकड़कर आबादी वाले इलाकों से दूर भेजने की मांग कर रहे हैं।
चमोली में भालू का आतंक
Chamoli: उत्तराखंड में जंगली जीवों का आतंक व्याप्त है। ज्योतिर्मठ नगर क्षेत्र के थेंग गांव में रविवार रात्रि भालू ने मोहन सिंह नेगी पुत्र माधो सिंह की गौशाला को फाड़ कर उसमें बंधी बकरियों को अपना निवाला बना लिया। घटना को लेकर इलाके में वन विभाग और प्रशासन के खिलाफ रोष व्याप्त है।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र के दूरस्थ गांव इस सीजन में सबसे अधिक भालू प्रभावित हैं। ज्योतिर्मठ नगर क्षेत्र में भालू प्रभावित इलाकों में जहां नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की QRT टीम भालू प्रबन्धन कॉन्सेप्ट के आधार पर कार्य कर भालुओं को आबादी वाले इलाकों से दूर करने के प्रयास कर रही है। लेकिन भालुओं के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
क्षेत्र पंचायत सदस्य थेंग रमा देवी ने बताया कि रविवार रात्रि को भालू ने गौशाला में बंधे पशुधनों सहित बकरियों को अपना निवाला बना लिया। घटना के बाद मोहन सिंह का परिवार हताश और आक्रोशित है क्योंकि उनकी आजीविका का संसाधन ही ये पशु पालन ओर बकरी पालन है। उन्होंने वन विभाग से इस नुकसान की भरपाई करने की मांग की।
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क्षेत्र के जनप्रतिनिधि धन सिंह ने बताया कि पिछले कई महीनों से उनके गांव में भालुओं ने जबरदस्त आतंक मचाया हुआ है और अब तक करीब 60 से ऊपर पालतू मवेशियों को भालू अपना शिकार बना चुका है और दर्जनों गौशालाओं को बर्बाद कर चुका है।
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उन्होेने बताया कि भालू ने जिन मवेशियों को मारा है वो अधिकतर दुधारू गाय और बकरियां हैं जो कि हमारे ग्रामीण इलाकों में आर्थिकी का एकमात्र साधन है, लेकिन वन विभाग द्वारा गश्त और गोष्ठियां ही की गई है।
ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि इन आक्रामक भालुओं को पकड़ कर बाहर भेजा जाए। अन्य्था ग्रामीणों को मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।