

UKSSSC पेपर लीक मामले को लेकर उत्तराखंड के युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है। देहरादून के परेड ग्राउंड पर हजारों बेरोजगार धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है परीक्षा रद्द हो, CBI जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
नकल के खिलाफ जनआंदोलन
Dehradun: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हालिया स्नातक स्तर की परीक्षा में पेपर लीक का मामला एक बार फिर प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक भूचाल बन गया है। इस घोटाले के खिलाफ देहरादून का परेड ग्राउंड इन दिनों बेरोजगार युवाओं के आक्रोश का केंद्र बन गया है। हजारों की संख्या में युवा यहां धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और इसे अब न्याय और भविष्य की लड़ाई कहा जा रहा है।
परेड ग्राउंड अब न केवल विरोध का स्थल है, बल्कि यह एक प्रतीक बन गया है। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां, बैनर और पोस्टर लेकर सरकार से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं, जैसे-
1. स्नातक स्तर की हालिया परीक्षा को तत्काल रद्द किया जाए।
2. UKSSSC घोटाले की जांच SIT नहीं, CBI से कराई जाए।
3. UKSSSC के अध्यक्ष गणेश मार्टोलिया को पद से हटाया जाए।
4. पेपर माफिया और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
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परेड ग्राउंड में केवल नारेबाजी ही नहीं हो रही, बल्कि युवा वहां लंबी लड़ाई के लिए डेरा डाल चुके हैं। टेंट लगाए गए हैं, खाने-पीने की व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों द्वारा की जा रही हैं। यह धरना अब सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक जनांदोलन का रूप ले चुका है।
बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। भारी पुलिस बल परेड ग्राउंड के आसपास तैनात है। अधिकारियों की तैनाती भी की गई है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे। हालांकि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन युवा सरकार से लगातार जवाब मांग रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे को "नकल जिहाद" करार देते हुए कहा कि दोषियों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि सरकार ने एक SIT का गठन किया है, जिसकी निगरानी उत्तराखंड हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। साथ ही सरकार ने वादा किया है कि एक महीने के भीतर जांच पूरी कर ली जाएगी।
हालांकि सरकार की कार्रवाई जारी है, लेकिन युवाओं का भरोसा अभी कायम नहीं हो पाया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे पहले भी कई SIT बनीं लेकिन न तो परिणाम निकले और न ही दोषियों को सजा मिली। इसलिए इस बार वे CBI जांच की मांग पर अडिग हैं।
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UKSSSC पेपर लीक सिर्फ एक परीक्षा का मामला नहीं है। यह उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य, मेहनत और भरोसे का संकट बन चुका है। जब-जब घोटाले होते हैं, सबसे ज़्यादा नुकसान उन युवाओं को होता है जो सालों की मेहनत के बाद परीक्षा देते हैं।
सवाल यही है कि क्या सरकार इस बार युवाओं की आवाज़ को गंभीरता से लेगी? अगर नहीं, तो यह आंदोलन जल्द ही प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन** का रूप ले सकता है। छात्र संगठन और बेरोजगार युवाओं ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे **सड़क से लेकर विधानसभा तक संघर्ष तेज करेंगे।