

हल्द्वानी में पेपर लीक के खिलाफ युवाओं का आक्रोश आमरण अनशन में बदला। बुद्ध पार्क में सैकड़ों छात्र और बेरोज़गार जुटे, सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग। छात्र संगठनों ने चेताया- आंदोलन हो सकता है और उग्र।
हल्द्वानी में पेपर लीक की उठी आवाज़
Haldwani: यूकेएसएसएससी (UKSSSC) पेपर लीक मामले को लेकर उत्तराखंड में युवाओं का गुस्सा अब सड़कों पर खुलकर सामने आ गया है। हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में छात्र और बेरोजगार युवा आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। युवाओं का कहना है कि यह सिर्फ नौकरी का नहीं, बल्कि न्याय और भविष्य का आंदोलन है।
बुद्ध पार्क का माहौल पूरी तरह आंदोलनकारी बन चुका है। छात्रों के हाथों में पोस्टर हैं और गले में नारों की तख्तियां। "नौकरी दो", "पेपर माफिया हटाओ", "नकल माफियाओं को जेल भेजो" जैसे नारों से पार्क गूंज उठा है। कई छात्रों ने अनशन शुरू कर दिया है और कहा है कि जब तक दोषियों को सख्त सजा और स्थायी समाधान नहीं मिलेगा, वे पीछे नहीं हटेंगे।
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आंदोलन में शामिल छात्रों और युवाओं का कहना है कि अब तक जितनी भी जांच हुई हैं, वे कागज़ों तक सीमित रहीं। हर बार कुछ नाम सामने आते हैं, लेकिन बड़े चेहरे बचा लिए जाते हैं, यह आरोप आम हैं। प्रदर्शनकारियों ने यह भी दावा किया कि पेपर लीक रैकेट को लंबे समय से राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है, जिससे असली गुनहगार आज़ाद घूम रहे हैं।
इस आंदोलन को सिर्फ बुद्ध पार्क तक सीमित न मानें। कई छात्र संगठनों और बेरोजगार मंचों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी और उग्र रूप ले सकता है। देहरादून, रुद्रपुर, हरिद्वार, पिथौरागढ़ सहित कई जिलों में प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है।
पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर तैनात है और स्थिति पर नज़र बनाए हुए है। हालांकि, अब तक कोई उच्च स्तरीय अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है, जिससे छात्रों में नाराज़गी है। अनशन पर बैठे छात्रों की हालत बिगड़ने लगी है लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।
आंदोलनकारियों का मानना है कि पेपर लीक अब सिर्फ उन छात्रों का मुद्दा नहीं रहा जो परीक्षा में बैठे थे, बल्कि यह हर युवा और समाज के भविष्य का प्रश्न बन चुका है। प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार लीक, रिश्वत, और भ्रष्टाचार ने युवाओं का विश्वास तोड़ दिया है।
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मुख्य सवाल यही है कि क्या सरकार इस बार युवाओं की आवाज़ को गंभीरता से सुनेगी या फिर हमेशा की तरह जांच और बयानबाज़ी तक मामला सीमित रहेगा? हल्द्वानी से उठी यह चिंगारी, अगर सही तरीके से ना बुझाई गई, तो यह उत्तराखंड में एक ऐतिहासिक युवा आंदोलन का रूप ले सकती है।