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हल्द्वानी में फर्जी प्रमाण पत्र घोटाले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। टीम ने ऐसी सोसाइटी पकड़ी जो कागजों में तो मौजूद थी, लेकिन असलियत में नहीं। इसी के नाम पर 19 साल से फर्जी संस्तुतियां जारी की जा रही थीं।
हल्द्वानी में फर्जीवाड़ा (सोर्स- गूगल)
Nainital: हल्द्वानी में चल रहे फर्जी प्रमाण पत्र मामले में जांच टीम को एक ऐसा खुलासा मिला है जिसने पूरे प्रशासन को चौंका दिया है। टीम को ऐसी सोसाइटी मिली जो कागजों में दर्ज थी, लेकिन असलियत में उसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। इसके बावजूद करीब 19 साल तक उसी सोसाइटी के लेटरहेड पर स्थायी निवास, जाति और अन्य प्रमाण पत्रों के लिए संस्तुतियां जारी की जाती रहीं।
जांच में पता चला कि यह पूरा खेल साहूकारा लाइन के एक दुकानदार के माध्यम से चल रहा था, जो लंबे समय से अवैध रूप से दस्तावेज तैयार कर रहा था। मामला खुलते ही प्रशासन ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं।
SDM राहुल शाह के अनुसार, स्थाई निवास प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान टीम को एक आवेदन मिला, जिसमें अंजुमन मोमिन अंसार, आजादनगर हल्द्वानी नाम की संस्था की संस्तुति लगी हुई थी। जब टीम दिए गए पते पर पहुंची, तो वहां ऐसी किसी संस्था का नाम तक नहीं मिला।
स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि रईस अहमद अंसारी, जो साहूकारा लाइन में दुकान चलाता है, कई वर्षों से इस सोसाइटी के नाम पर फर्जी लेटरहेड जारी करता रहा है। जांच टीम जब दुकान पर पहुंची तो उसने खुद स्वीकार किया कि वह 2007 से ऐसे पत्र बनाता आ रहा है, लेकिन संस्था से संबंधित एक भी असली दस्तावेज वह दिखा नहीं पाया।
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जांच में बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि सोसाइटी का 2007 के बाद कभी नवीनीकरण ही नहीं हुआ। संस्था के अध्यक्ष और महासचिव दोनों की मौत कई साल पहले हो चुकी थी। इसका मतलब यह स्पष्ट है कि संस्था का संचालन वर्षों से बंद था, फिर भी उसके नाम पर 19 साल से फर्जी संस्तुति जारी होती रही। कई लोग इन अवैध पत्रों का इस्तेमाल कर जाति और निवास प्रमाण पत्र बनवा चुके हैं, जबकि ऐसी संस्था को यह अधिकार कभी था ही नहीं।
घोटाला (सोर्स- गूगल)
जांच टीम को कई आवेदन संदिग्ध लगे। कुछ में फोन नंबर गलत थे, तो कुछ में आधार नंबर मेल नहीं खा रहे थे। एक आवेदन में तो आधार नंबर की जगह भी फोन नंबर ही लिखा मिला। जब टीम ने उस नंबर पर बात की, तो सामने से साफ कहा गया कि उन्होंने किसी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन नहीं किया। यह साफ संकेत है कि यह फर्जीवाड़ा किसी व्यक्तिगत फायदा या बड़े नेटवर्क के माध्यम से लंबे समय से चलाया जा रहा था।
जांच टीम ने बिजली और पानी के बिलों में भी विसंगतियां पकड़ीं। कई बिलों में नाम किसी और का था, पता किसी और का। कुछ मामलों में आवेदकों का पता बिल में दर्ज पते से बिल्कुल मेल नहीं खाता था। बिलों की सत्यता जांचने के लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान से अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है।
हल्द्वानी तहसील से जारी लगभग 1200 प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। अब तक लगभग 200 प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है और कई मामलों में भारी गड़बड़ी सामने आई है। एसडीएम का कहना है कि पूरी जांच के बाद ही यह तय होगा कि कितने प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे और इस घोटाले का नेटवर्क कितना बड़ा था।
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प्रशासन ने तहसीलदार को आरोपी दुकानदार पर एफआईआर दर्ज करने और इस फर्जी सोसाइटी के नाम पर जारी सभी दस्तावेजों की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस नेटवर्क में अन्य लोग भी शामिल थे। अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ प्रमाण पत्र घोटाला नहीं है, बल्कि सिस्टम को लंबे समय तक धोखा देने की कोशिश है। जिसकी तह तक जाना जरूरी है।