

नवजातों को शहद चटाने का नुस्खा उनकी सेहत के लिए घातक साबित हो रहा है। इससे बच्चे शिशु बोटुलिज्म नाम की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इस बीमारी से जुड़े कई खुलासे किए गए थे।
नवजातों को शहद चटाना हुआ घातक
Dehradun: नवजातों को शहद चटाकर स्वस्थ्य रखने का पुराना नुस्खा अब बच्चों के लिए हानिकारक हो रहा है। पुराने समय में नवजातों को शहद चटाने का पुराना रिवाज था लेकिन वर्तमान समय में इसके हानिकारक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
दून अस्पताल के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि उनकी ओपीडी में हर सप्ताह करीब 15 ऐसे नवजात आ रहे हैं जो शिशु बोटुलिज्म बीमारी से जूझते हैं। उनको यह बीमारी शहद चटाने से हो रही है। इतना ही नहीं नवजातों को शहद चटाने से दौरा पड़ने का भी खतरा बढ़ रहा है।
शहद में मौजूद माइक्रो ऑर्गेनिज्म बैक्टीरिया नवजात की आंत, किडनी और लीवर पर सीधे हमला कर रहे हैं। इससे बच्चे शिशु बोटुलिज्म नाम की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
चिकित्सक डॉ. कुमार ने बताया कि शहद में मौजूद बैक्टीरिया नवजातों की आंतों में जाकर जहरीले पदार्थ बनाते हैं। यह जहर शिशु की नसों पर हमला करता है। इससे उसकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे नवजात में लकवा का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही श्वसन तंत्र भी प्रभावित होता है। संक्रमण के बाद आंतों की गतिशीलता पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।
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विशेषज्ञों के अनुसार शिशुओं में बोटुलिज्म बीमारी का मुख्य कारण अभिभावकों में इसके प्रति कम जागरूकता है। वहीं अब शिशु बोटुलिज्म से जूझने वाले नवजात उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में भी सामने आ रहे हैं।
शिशु बोटुलिज्म बीमारी की गंभीरता को पहचानने के लिए गत मार्च में एलीवेट सिरीज की ओर से एक अध्ययन भी जारी किया गया था। इसमें बीमारी से जुड़े कई खुलासे किए गए थे।
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अध्ययन के अनुसार फिलिस्तीन स्थित वेस्ट बैंक के 10 शहरों को इस शोध में शामिल गया। यह अध्ययन 469 अभिभावकों पर किया गया। इसमें 89 प्रतिशत महिलाएं व अन्य पुरुष हैं। इसमें यह बात सामने आई कि 62 प्रतिशत अभिभावक इस बात को जानते थे कि शहद और बोटुलिज्म के बीच कुछ संबंध है लेकिन यह गंभीर बीमारियों का कारण है इस बात से अनभिज्ञ थे।
जबकि 68 प्रतिशत अभिभावक इस बात से अनभिज्ञ थे कि शहद का बैक्टीरिया शिशु बोटुलिज्म बीमारी का कारण है।
बचाव के उपाय
अभिभावक नवजात को शहद न खिलाएं। चिकित्सकीय सलाह से तुरंत एंटीटॉक्सिन लें और नवजातों को सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं।