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उत्तराखंड के चमोली जिले के पीपलकोटी क्षेत्र में बनी सुरंग में दो लोको ट्रेनों की टक्कर से बड़ा हादसा हुआ। मजदूरों से भरी ट्रेनों की भिड़ंत में 50 से अधिक लोग घायल हुए, कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
लोको ट्रेनों की भिड़ंत से मची अफरा-तफरी
Chamoli: उत्तराखंड के चमोली जिले में मंगलवार रात एक गंभीर औद्योगिक हादसा सामने आया। पीपलकोटी क्षेत्र में परियोजना के तहत बनी सुरंग के भीतर मजदूरों को ले जा रहीं दो लोको ट्रेनें आपस में टकरा गईं। इस दुर्घटना में 50 से अधिक मजदूर घायल हो गए, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे के बाद सुरंग के भीतर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना रात करीब 10 बजे हुई, जब दोनों लोको ट्रेनें मजदूरों को लेकर कार्यस्थल की ओर बढ़ रही थीं। ट्रेनों में कुल मिलाकर लगभग 108 मजदूर सवार थे। अचानक तकनीकी खराबी के कारण एक ट्रेन ने दूसरी को पीछे से टक्कर मार दी। संकरी और अंधेरी सुरंग में झटका लगते ही कई मजदूर संभल नहीं पाए और घायल हो गए।
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टक्कर के बाद कुछ समय के लिए सुरंग के भीतर आवाजाही और संचार प्रभावित हुआ। मजदूरों में घबराहट फैल गई और कई लोग मदद के लिए पुकारते रहे। सुरंग की सीमित जगह और रोशनी की कमी के कारण हालात को संभालना चुनौतीपूर्ण रहा। मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने प्राथमिक स्तर पर राहत कार्य शुरू किया।
हादसे की सूचना मिलते ही परियोजना प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हुआ। घायल मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालकर नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों के अनुसार अधिकांश घायलों को सामान्य चोटें आई हैं, जबकि कुछ मजदूरों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है। सभी घायलों का इलाज जारी है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि घटना की प्राथमिक वजह तकनीकी खराबी प्रतीत हो रही है। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। अधिकारियों ने यह भी आश्वासन दिया कि घायलों को हर संभव मदद दी जाएगी।
हादसे के बाद कारणों की विस्तृत जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। तकनीकी टीम सुरंग के भीतर लोको ट्रेनों की स्थिति, ब्रेकिंग सिस्टम और सिग्नलिंग व्यवस्था की जांच कर रही है। यह भी देखा जा रहा है कि सुरक्षा मानकों का पालन किस हद तक किया गया था और कहां चूक हुई।
इस दुर्घटना ने परियोजनाओं में मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरंगों में सीमित जगह, रोशनी और आपातकालीन प्रबंधन जैसी चुनौतियां पहले से मौजूद रहती हैं। ऐसे में तकनीकी निगरानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल की सख्ती से पालन की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।
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प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल प्राथमिकता घायलों के उपचार और स्थिति को सामान्य करने की है।