

फरेंदा की हीरो एजेंसी पर बड़ा घोटाला सामने आया है। नगद बाइक खरीदने वाले ग्राहक को बिना जानकारी फाइनेंस में डाल दिया गया। पीड़ित की शिकायत पर एजेंसी मालिक समेत तीन पर मुकदमा दर्ज हुआ है। मामले में प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।
थाना फरेंदा
Maharajganj: फरेंदा कस्बे के हीरो बाइक एजेंसी पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जहां नगद पैसे देकर बाइक खरीदने वाले ग्राहक को फाइनेंस में दिखाकर धोखाधड़ी की गई। इस मामले में पीड़ित की तहरीर पर एजेंसी मालिक समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और एजेंसी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सोनौली क्षेत्र के त्रिलोकपुर निवासी रामजन्म ने पुलिस को दिए गए पत्र में बताया कि उन्होंने 7 मार्च को कस्बे की अमित ऑटोमोबाइल्स (हीरो एजेंसी) से नगद 80,824 रुपये में बाइक खरीदी थी। खरीद के समय उन्हें साफ तौर पर बताया गया कि गाड़ी नगद खरीदी गई है। लेकिन कुछ महीनों बाद फाइनेंस कंपनी से फोन आया कि गाड़ी की किस्त बाकी है। इसके बाद कंपनी के कर्मचारी उनके घर पहुंचे और किस्त वसूली का दबाव बनाने लगे।
रामजन्म ने एजेंसी से मामले की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि यहां ग्राहकों से नगद पैसे लेने के बाद कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फाइनेंस एग्रीमेंट कर दिया जाता है। इससे अनजाने में ही ग्राहक किस्तदार बन जाते हैं। पीड़ित का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि एजेंसी पर पहले भी इस तरह की शिकायतें उठ चुकी हैं।
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वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि एजेंसी की कार्यशैली लंबे समय से संदिग्ध रही है। अब मामला खुलकर सामने आने से लोगों में आक्रोश बढ़ गया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो और पीड़ितों को न्याय मिले।
थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार पाठक ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर एजेंसी मालिक अमित सहित संदीप व राकेश के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने वाहन खरीदने वाले ग्राहकों के सामने बड़ी सीख छोड़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी गाड़ी की खरीद-बिक्री के समय ग्राहकों को भुगतान की रसीद, एग्रीमेंट और आरसी की कॉपी ध्यान से जांचनी चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वाहन नकद है या फाइनेंस पर। कई बार अनजाने में लोग जालसाजों के शिकार हो जाते हैं। अधिकारियों ने भी अपील की है कि अगर कहीं भी संदेहास्पद स्थिति दिखे तो तुरंत पुलिस या परिवहन विभाग को जानकारी दें।