

बाराबंकी जिले में सोमवार देर रात उस वक्त हड़कंप मच गया जब यह खबर फैली कि बरेली से बनारस जा रही एक यात्री ट्रेन पटरी से उतर गई है।
बाराबंकी रेलवे स्टेशन
Barabanki: बाराबंकी जिले में सोमवार देर रात उस वक्त हड़कंप मच गया जब यह खबर फैली कि बरेली से बनारस जा रही एक यात्री ट्रेन पटरी से उतर गई है। प्रारंभिक सूचना के अनुसार यह हादसा सफदरगंज और रसौली रेलवे स्टेशनों के बीच हुआ था। जैसे ही यह खबर रेलवे और जिला प्रशासन के पास पहुंची, पूरे तंत्र में अफरा-तफरी मच गई। आपात स्थिति से निपटने के लिए जिले के दोनों अपर पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी (एडीएम), संबंधित थानों की पुलिस फोर्स और अन्य प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल राहत और बचाव कार्य के लिए तैयारियां शुरू कर दी गईं। अस्पतालों को अलर्ट किया गया, एंबुलेंस रवाना की गईं और बचाव दल सक्रिय हो गए। एक घंटे तक यह मान लिया गया कि बड़ा रेल हादसा हो गया है और दर्जनों यात्रियों की जान खतरे में हो सकती है। लेकिन जब अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटनास्थल की गहराई से जांच की, तो सामने आया कि यह कोई वास्तविक हादसा नहीं, बल्कि रेलवे विभाग की ओर से आयोजित एक पूर्व नियोजित मॉक ड्रिल थी।
सफदरगंज रेलवे स्टेशन मास्टर द्वारा इस मॉक ड्रिल की सूचना पहले ही दी गई थी, लेकिन किसी कारणवश यह जानकारी स्पष्ट रूप से प्रशासन तक नहीं पहुंच पाई, या फिर स्थिति को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई। इसी भ्रम के चलते जिला प्रशासन ने पूरी सतर्कता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई की।
करीब एक घंटे की बेचैनी और भ्रम के बाद जब यह स्पष्ट हुआ कि यह एक आपात स्थिति से निपटने की योजना का हिस्सा थी, तब अधिकारियों और आम जनमानस ने राहत की सांस ली। मॉक ड्रिल समाप्त होते ही ट्रेन को आगे के लिए रवाना कर दिया गया।रेलवे विभाग के अनुसार, यह मॉक ड्रिल आपदा की स्थिति में विभागीय और प्रशासनिक तैयारियों की जांच के उद्देश्य से की गई थी। इसका उद्देश्य यह था कि यदि भविष्य में कोई रेल दुर्घटना होती है तो उससे निपटने के लिए रेलवे और जिला प्रशासन कितने तैयार हैं।
इस पूरी घटना ने यह जरूर दिखा दिया कि बाराबंकी जिला प्रशासन किसी भी आपात स्थिति में तुरंत हरकत में आने की क्षमता रखता है। हालांकि प्रशासन को सूचना की स्पष्टता पर जरूर विचार करना चाहिए ताकि भविष्य में मॉक ड्रिल को वास्तविक हादसा मानकर जनता में भय न फैले। कुल मिलाकर, यह मॉक ड्रिल सफल रही और इससे प्रशासन की सक्रियता भी उजागर हुई। यह एक सकारात्मक संकेत है कि संकट की घड़ी में शासन-प्रशासन किस हद तक सतर्क और सजग है।