

बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने एक इंटरव्यू में डिंपल यादव को अपना क्रश बताते हुए एक बड़ा बयान दिया है। स्वरा ने कहा कि अगर इंसानों को अपनी मर्जी से जीने दिया जाए तो हम सभी बाइसेक्सुअल होते। स्वरा ने इस बयान के माध्यम से बाइसेक्सुअलिटी, गे और लेस्बियन के बीच के अंतर को भी स्पष्ट किया।
स्वरा भास्कर का विवादास्पद बयान
New Delhi: बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। एक बार फिर उनका बयान चर्चा का विषय बन गया है। इस बार स्वरा ने एक इंटरव्यू में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव को अपना क्रश बताया। इसके अलावा, स्वरा ने बाइसेक्सुअलिटी पर भी अपनी राय दी और दावा किया कि "हम सभी लोग बाइसेक्सुअल हैं।" उनका यह बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, और लोग इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
स्वरा का बाइसेक्सुअलिटी पर बयान
स्वरा भास्कर ने कहा, "अगर इंसानों को अपनी मर्जी से जीने दिया जाए तो हम सभी बाइसेक्सुअल होते।" उन्होंने आगे कहा कि हेटरोसेक्सुअलिटी यानी लड़का और लड़की के रिश्ते की धारणा एक सामाजिक सोच है, जिसे हजारों सालों से इंसानों पर थोपा गया है। स्वरा का यह बयान कई मायनों में हैरान करने वाला था, क्योंकि इसने एक बार फिर से सामाजिक संरचनाओं और लैंगिक धारा पर सवाल खड़ा किया है। स्वरा भास्कर की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है, जहां लोग उनके बयान को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग उनकी राय से सहमत हैं, जबकि कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं।
बाइसेक्सुअलिटी का मतलब क्या है?
स्वरा भास्कर के बयान ने फिर से बाइसेक्सुअलिटी जैसे मुद्दे को मुख्यधारा में लाया है। लेकिन, ऐसे कई लोग हैं जिन्हें बाइसेक्सुअल, गे और लेस्बियन जैसे शब्दों का सही अर्थ नहीं पता होता। चलिए, इन शब्दों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बाइसेक्सुअल का मतलब
बाइसेक्सुअल एक व्यक्ति को कहते हैं जो दो अलग-अलग लिंगों यानी पुरुष और महिला दोनों के प्रति आकर्षित होता है। बाइसेक्सुअलिटी में व्यक्ति किसी एक लिंग के बजाय, दोनों लिंगों के प्रति यौन और भावनात्मक आकर्षण महसूस करता है। यह जरूरी नहीं है कि बाइसेक्सुअल होने के लिए व्यक्ति ने किसी से यौन संबंध बनाए हों; इसे केवल मानसिक और भावनात्मक आकर्षण के आधार पर समझा जा सकता है।
गे और लेस्बियन का अर्थ
गे शब्द का इस्तेमाल उन पुरुषों के लिए किया जाता है, जो भावनात्मक और यौन रूप से केवल अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते हैं। इसे समलैंगिकता (Homosexuality) कहा जाता है। वहीं, लेस्बियन शब्द उन महिलाओं के लिए होता है, जो केवल महिलाओं के प्रति आकर्षित होती हैं। यह शब्द महिला समलैंगिकों के लिए विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल में अंतर
गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल तीनों शब्दों के बीच मुख्य अंतर आकर्षण के दायरे में है।
यह अंतर इस बात पर आधारित है कि व्यक्ति किस लिंग या लिंगों के प्रति भावनात्मक और यौन आकर्षण महसूस करता है। इसलिए, जब स्वरा ने दावा किया कि हम सभी बाइसेक्सुअल हैं, तो वह एक सांस्कृतिक टिप्पणी कर रही थीं, जो यह दिखाती है कि अगर समाज की निर्धारित लिंग पहचान और रिश्तों के बंधन न होते, तो लोग स्वाभाविक रूप से दोनों लिंगों के प्रति आकर्षित होते।
बाइसेक्सुअलिटी पर समाज की राय
स्वरा का यह बयान समाज में बाइसेक्सुअलिटी और लैंगिक विविधता को लेकर खुली बातचीत की जरूरत को उजागर करता है। बाइसेक्सुअलिटी जैसे मुद्दे अक्सर टैबू माने जाते हैं, खासकर पारंपरिक और रूढ़िवादी समाजों में। लेकिन जैसे-जैसे समाज में लैंगिक समानता और स्वतंत्रता को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, ऐसे बयान इस मुद्दे पर खुली चर्चा की दिशा में एक कदम साबित हो सकते हैं। स्वरा भास्कर ने जो कहा, उससे यह भी स्पष्ट होता है कि वह मानती हैं कि लिंग, यौन पहचान और आकर्षण पर समाज की ओर से लागू की गई सीमाओं से परे जाकर सोचना चाहिए। उनके अनुसार, जब तक हम इस सामाजिक संरचना से बाहर नहीं निकलते, तब तक यह समझ पाना मुश्किल होगा कि हम कौन हैं और क्या चाहते हैं।
समाज में बाइसेक्सुअलिटी को लेकर बढ़ती जागरूकता
समाज में बाइसेक्सुअलिटी और समलैंगिकता जैसे विषयों पर बातचीत शुरू हो चुकी है, और यह जरूरी भी है। हालांकि, कुछ लोग इस तरह की धारणा को अभी भी पूरी तरह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में, स्वरा भास्कर जैसे सार्वजनिक हस्तियों का इस मुद्दे पर अपनी राय रखना महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह समाज के एक बड़े वर्ग को सामाजिक विविधता और लैंगिक स्वतंत्रता के प्रति जागरूक कर सकता है।