

उत्तर प्रदेश सरकार परिषदीय और कंपोजिट विद्यालयों में बालवाटिका की गुणवत्ता सुधारने के लिए बड़ी पहल कर रही है। राज्य के 8800 विद्यालयों में अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE) एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है।
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- गूगल)
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया के बीच बालवाटिका (प्रारंभिक बाल शिक्षा केंद्रों) को सशक्त बनाने का अभियान तेज हो गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश सरकार ने 8800 प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालयों में ECCE एजुकेटर तैनात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह एजुकेटर बच्चों के शुरुआती विकास और सीखने की नींव को मज़बूत करेंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने दी स्वीकृति
शिक्षा मंत्रालय ने वार्षिक परियोजना योजना के अंतर्गत ECCE एजुकेटर की नियुक्ति को बजट स्वीकृति प्रदान की है। इसका उद्देश्य परिषदीय विद्यालयों में संचालित को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों व बालवाटिका की कार्यप्रणाली को मजबूत करना है, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पूर्व-प्राथमिक शिक्षा मिल सके।
30 सितंबर तक पूरी होनी है प्रक्रिया
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को निर्देश जारी किए हैं कि ECCE एजुकेटर की नियुक्ति GeM पोर्टल के माध्यम से 30 सितंबर तक पूरी की जाए। इसके लिए हर जिले को जरूरत के मुताबिक एजुकेटर की संख्या निर्धारित कर भेज दी गई है। साथ ही पिछले वर्ष की लंबित 10,684 नियुक्तियों को भी समय से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिलानुसार एजुकेटर की संख्या
प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए ECCE एजुकेटर की संख्या कुछ इस प्रकार तय की गई है।
• रायबरेली, गोरखपुर, प्रयागराज और हरदोई: 210-210
• जौनपुर: 220
• सीतापुर: 200
• गोंडा: 170
• बाराबंकी: 160
• बहराइच: 140
• अमेठी और सुल्तानपुर: 130-130
• अंबेडकरनगर और लखनऊ: 90-90
• श्रावस्ती: 60
• बलरामपुर: 100
बाल शिक्षा की नींव होगी और मजबूत
ECCE एजुकेटर की नियुक्ति से 3-6 वर्ष के बच्चों के सर्वांगीण विकास, खेल आधारित शिक्षा, और सामाजिक-भावनात्मक क्षमताओं के विकास पर फोकस किया जाएगा। इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को भी गति मिलेगी, जो प्रारंभिक शिक्षा को बेहद महत्वपूर्ण मानती है।
क्या है विद्यालय पेयरिंग योजना?
विद्यालय पेयरिंग (School Pairing) का तात्पर्य है कि एक कमज़ोर या अल्पसंसाधन युक्त विद्यालय को एक बेहतर स्थिति वाले विद्यालय के साथ जोड़ा जाए। इससे छोटे विद्यालय के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, योग्य शिक्षक, खेलकूद और अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लागू की जा रही है। जहां अक्सर विद्यालय तो हैं लेकिन उनमें छात्रों की संख्या बेहद कम है।