Shipra Pathak: भारतीय जल संरक्षण मॉडल ने जीता लंदन का दिल, शिप्रा पाठक की अंतरराष्ट्रीय सराहना

बदायूं जिले की रहने वाली भारत की सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद, वाटर वुमन और पंचतत्व फाउंडेशन की संस्थापक शिप्रा पाठक ने ब्रिटेन की संसद में भारतीय जल संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को ऐतिहासिक रूप से प्रस्तुत किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 21 November 2025, 2:41 PM IST
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Budaun: बदायूं जिले की रहने वाली भारत की सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद, वाटर वुमन और पंचतत्व फाउंडेशन की संस्थापक शिप्रा पाठक ने ब्रिटेन की संसद में भारतीय जल संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को ऐतिहासिक रूप से प्रस्तुत किया। लंदन की संसद के दोनों सदनों में उन्हें भारत की ओर से आमंत्रित वक्ता के रूप में सम्मानित किया गया।

55 लाख पौधों का रोपण

उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद के दातागंज निवासी शिप्रा पाठक की पर्यावरण यात्रा अद्वितीय रही है। उन्होंने 13,000 किलोमीटर पैदल चलकर देशभर में 55 लाख पौधों का रोपण कराया और लाखों नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के लिए आंदोलित किया। उनके नेतृत्व में पंचतत्व फाउंडेशन ने नदी पुनर्जीवन को जनभागीदारी आधारित अभियान का स्वरूप दिया। इन्हीं उल्लेखनीय कार्यों के आधार पर ब्रिटिश संसद ने उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया।

शिप्रा पाठक ने अपने संबोधन में क्या कहा?

अपने संबोधन में शिप्रा पाठक ने भारतीय सभ्यता के मूल विचार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत विश्व कल्याण को अपनी सांस्कृतिक जिम्मेदारी मानता है। उन्होंने चेताया कि बढ़ता जल संकट आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है, इसलिए विश्व को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।

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उन्होंने अपने भाषण में भारत की तीन प्रमुख नदियों का विशेष उल्लेख किया नर्मदा, जिसे उन्होंने मध्य भारत की पवित्र पर्यावरणीय रीढ़ कहा, गंगा, जिसे उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक निरंतरता की वाहक बताया; गोमती, जो उत्तर प्रदेश की प्राचीन धरोहर और जीवनधारा है; तथा उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति नदियों को केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि जीवित इकाई मानकर उनकी पूजा करती है।

पुनर्जीवन मॉडल की सराहना

सत्र के बाद ब्रिटिश सांसदों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने शिप्रा पाठक के कार्यों को अत्यंत प्रेरणादायक बताते हुए भारत के नदी पुनर्जीवन मॉडल की सराहना की। उन्होंने भारत की जनभागीदारी आधारित पर्यावरणीय पद्धतियों में गहरी रुचि दिखाई।

“नदी संवाद” में लेंगी साथ

अपने कार्यक्रम के तहत शिप्रा पाठक लंदन की थेम्स नदी के संरक्षण मॉडल का अध्ययन करेंगी और ब्रिटेन के पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ “नदी संवाद” में भाग लेंगी। वे लंदन की मेयर से शिष्टाचार भेंट भी करेंगी और शहर के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थलों का अवलोकन करेंगी।

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शिप्रा पाठक की यह उपलब्धि न केवल भारतीय पर्यावरण परंपरा का वैश्विक सम्मान है, बल्कि भारतीय नारी शक्ति और सांस्कृतिक चेतना के लिए भी गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा-“नदी को बचाने की यात्रा भले भारत से शुरू होती है, लेकिन उसका संदेश पूरे विश्व तक जाता है।”

 

Location : 
  • Budaun

Published : 
  • 21 November 2025, 2:41 PM IST