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कोसी से सनातन एकता पदयात्रा के रवाना होने से पहले धीरेंद्र शास्त्री ने राम, राष्ट्र और हिंदू परंपराओं का विरोध करने वालों पर बयान दिए। उन्होंने कहा कि जिन्हें ‘जय श्री राम’ या ‘वंदे मातरम’ से समस्या है, वे लाहौर की टिकट कटवा लें।
धीरेंद्र शास्त्री
Mathura: सनातन एकता पदयात्रा शुक्रवार सुबह कोसी क्षेत्र से रवाना हुई। यात्रा शुरू होने से पहले बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने सभा को संबोधित किया और अपने बयानों के जरिए माहौल को जोश से भर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं और समर्थकों के बीच उन्होंने कहा कि “जिन्हें राम नाम, वंदे मातरम या जय श्री राम से दिक्कत है, वे जल्दी ही लाहौर की टिकट कटवा लें।”
अपने संबोधन में धीरेंद्र शास्त्री ने यह स्पष्ट किया कि उनका विरोध किसी धर्म विशेष से नहीं, बल्कि उन लोगों से है जो राष्ट्र की एकता और सनातन मूल्यों पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि हम मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं। हम उनके विरोधी हैं जो राम और राष्ट्र का नहीं हो सकता। जो खाते भारत का हैं और गुणगान कहीं और का करते हैं, वो आपके चाचा लगते हैं क्या?”
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धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भाषण में कहा कि कुछ हिंदू ही गीता, गंगा, संतों और पदयात्रा का विरोध कर रहे हैं, जबकि उन्हें अपनी जड़ों को समझना चाहिए। उन्होंने मज़ाकिया अंदाज में कहा कि भैया, अगर शुगर हो जाए तो शुगर चेक करवाई जाती है। वैसे ही जो हिंदुओं का विरोध करते हैं, वो भी अपना डीएनए टेस्ट करवा लें।
पदयात्रा की शुरुआत अत्यंत गरिमामय माहौल में हुई। छाता प्रस्थान से पहले राष्ट्रगान और वंदेमातरम गाकर उपस्थित जनसमूह को एकता की शपथ दिलाई गई। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह पदयात्रा केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हिंदू समाज को एकजुट करने और सनातन संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने का एक अभियान है।
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पदयात्रा शुरू होने से पहले भक्तों और स्थानीय लोगों ने धीरेंद्र शास्त्री और आए हुए पदयात्रियों का जोरदार स्वागत किया। सुभाष बासईया, वेद प्रकाश गोयल, योगेश खंडेलवाल, विनोद जैन, केके अग्रवाल, स्पर्श गोयल, सौरभ अग्रवाल, डॉ. अमन गोयल, बलवंत सिंह, नीरज अग्रवाल, सुनील गोयल, सुशील गोयल, कमलेश और रजत गोयल सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाल भोग वितरित कर यात्रियों का अभिनंदन किया।
धीरेंद्र शास्त्री के बयानों ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा बढ़ा दी है। विपक्षी दल उनके “लाहौर की टिकट” और “डीएनए टेस्ट” वाले बयान को उकसाने वाला बता रहे हैं, जबकि समर्थक इसे सनातन की रक्षा के लिए साहसी कदम मान रहे हैं।