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बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उत्तरकाशी के गंगनानी से अपनी धार्मिक यात्रा शुरू की। इस यात्रा का उद्देश्य सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रचार-प्रसार है। यात्रा के दौरान वे विभिन्न धार्मिक स्थानों का दौरा करेंगे।
धीरेंद्र शास्त्री (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Uttarkashi: उत्तरकाशी के गंगनानी में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी धार्मिक यात्रा की शुरुआत की है। इस धार्मिक यात्रा का उद्देश्य सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना है। गंगनानी पहुंचने के बाद, शास्त्री जी ने सबसे पहले मां गंगा और यमुना के संगम स्थल पर विधिवत पूजन किया और पुष्प अर्पित कर देश और समाज की समृद्धि की कामना की। इस पूजा के दौरान शास्त्री जी ने प्रार्थना की कि देश में शांति, समृद्धि और संतुलन बना रहे, साथ ही सनातन धर्म की महत्ता को पूरे विश्व में फैलाया जा सके।
गंगनानी, जो उत्तरकाशी जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में स्थित है, उत्तरकाशी के पास एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। गंगनानी के बारे में मान्यता है कि यहां आने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। शास्त्री जी ने इस पवित्र स्थल पर पहुंचकर मां गंगा और यमुना के संगम स्थल पर विशेष पूजन किया और इस स्थान की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाया। उन्होंने पूरे भारतवर्ष के कल्याण के लिए प्रार्थना की।
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शास्त्री जी का कहना था, "हमारी संस्कृति की पहचान हमारे धार्मिक स्थलों, पूजा-पद्धतियों और आध्यात्मिक ज्ञान से है। इसे बढ़ावा देने के लिए हमें न केवल धार्मिक स्थानों का दौरा करना चाहिए, बल्कि उन्हें पूरी दुनिया के सामने लाना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस धरोहर से जुड़ी रहें।"
धीरेंद्र शास्त्री की यह धार्मिक यात्रा गंगनानी से शुरू होकर वृंदावन तक जाएगी। उन्होंने इस यात्रा को ‘सनातन संस्कृति का प्रचार’ और ‘आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने’ के उद्देश्य से प्रारंभ किया। यात्रा के दौरान वे विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा करेंगे और वहां श्रद्धालुओं से संवाद करेंगे।
धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा बयान (सोर्स- गूगल)
शास्त्री जी का कहना था कि धर्म और आध्यात्मिकता समाज को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाती है, और उनका प्रयास है कि इस यात्रा के माध्यम से सनातन धर्म के महत्व को और अधिक लोगों तक पहुंचाया जाए।
धीरेंद्र शास्त्री ने गंगनानी में पूजा-अर्चना के बाद मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली का भी दौरा किया। खरसाली, जो यमुना नदी के किनारे स्थित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शास्त्री जी ने यहां भी यमुनाजी की पूजा अर्चना की और इस स्थान की धार्मिक महत्ता को बताया।
धीरेंद्र शास्त्री की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है। उनका मानना है कि आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में लोग धर्म और आध्यात्मिकता से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में यह यात्रा लोगों को धर्म की ओर आकर्षित करेगी और उन्हें अपने जीवन में संतुलन और शांति लाने की प्रेरणा देगी।
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धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "मुझे विश्वास है कि सनातन धर्म की जड़ों को और गहरे तक फैलाने में यह यात्रा मददगार साबित होगी। हमारी संस्कृति की नींव में सत्य, अहिंसा, और धर्म है, और हमें इसे पूरी दुनिया में फैलाना चाहिए।" वृंदावन तक जाने वाली इस यात्रा को लेकर श्रद्धालु उत्साहित हैं और शास्त्री जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी से आ रहे हैं।