

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ने वाले 91.352 किलोमीटर लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे की स्थिति चिंताजनक हो गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर मंडल को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ने वाले 91.352 किलोमीटर लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे की स्थिति चिंताजनक हो गई है। 7283.28 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस महत्वाकांक्षी परियोजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। छपियां पशु बाजार से शुरू होने वाले इस एक्सप्रेस-वे पर दो दिन पहले हुई प्री-मानसून की पहली बारिश ने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। सड़क के किनारे मिट्टी धंसने से एक बड़ा गड्ढा बन गया है, जिसके पास स्थित एक पुलिया और बिजली का खंभा भी जमीन में धंसने की कगार पर हैं।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट मुताबित स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य में गुणवत्ता की कमी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पहली बारिश में ही सड़क की खराब स्थिति उजागर हो गई, जो निर्माण में लापरवाही की ओर इशारा करती है। भारी वाहनों के आवागमन के कारण इस क्षेत्र में बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल है।
खजनी के उपजिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के अधिकारियों को क्षतिग्रस्त मार्ग की जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, "यूपीडा के अधिकारी जल्द ही मौके का निरीक्षण करेंगे और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।" हालांकि, स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कड़े कदम उठाए जाने चाहिए थे।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे गोरखपुर, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिलों को जोड़ता है। यह 4-लेन (6 लेन तक विस्तार योग्य) एक्सप्रेस-वे गोरखपुर बाईपास (एनएच-27, जैतपुर) से शुरू होकर आजमगढ़ के सालारपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से मिलता है। इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश में यातायात को सुगम बनाना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इसके किनारे औद्योगिक गलियारा विकसित करने की भी योजना है, जिससे रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास को बल मिलने की उम्मीद है।निर्माण में लापरवाही का आरोप
स्थानीय निवासी रामअशीष मौर्य , का कहना है कि इतनी बड़ी लागत से बने एक्सप्रेस-वे में प्री-मानसून की पहली बारिश में ही खामियां सामने आना चिंताजनक है। एक स्थानीय निवासी,ओमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा, "इतने बड़े प्रोजेक्ट में इतनी लापरवाही कैसे हो सकती है? अगर समय रहते मरम्मत नहीं हुई तो बड़ा हादसा हो सकता है।
हाल की खबरों के अनुसार, यूपीडा ने इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 98% कार्य पूरा होने का दावा किया था और इसे जल्द ही जनता के लिए खोलने की बात कही गई थी। हालांकि, ताजा घटना ने इन दावों पर सवाल उठा दिए हैं। बेलघाट के पास सरयू नदी की तेज धारा से एप्रोच को सुरक्षित करने के लिए यूपीडा द्वारा 198 करोड़ रुपये की लागत से त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाने का कार्य भी चल रहा है, जो निर्माण में गुणवत्ता की कमी को और उजागर करता है।आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल परियोजना की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनता की सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं। यूपीडा को तत्काल प्रभाव से क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत और गुणवत्ता जांच सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की जरूरत है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, अब अपनी गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में है। जनता और प्रशासन की नजर अब यूपीडा की कार्रवाई पर टिकी है।