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कानपुर में पान मसाला फैक्ट्री कर्मचारी की हत्या उसके ही तीन दोस्तों ने 20 लाख की एफडी हड़पने के लिए की। नशीली ड्रिंक पिलाकर उसे सुनसान जगह ले गए और सिर पर वार करके हत्या कर दी। शव पांडु नदी के किनारे बोरी से ढककर फेंक दिया गया। लास्ट कॉल और सीसीटीवी से पुलिस ने मामले का खुलासा कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया।
मृतक का फाइल फोटो
Kanpur: गुजैनी थाना क्षेत्र के मेहरबान सिंह के पुरवा में पान मसाला फैक्ट्री के कर्मचारी विपिन उर्फ गुड्डू तिवारी (32) की हत्या के मामले का पुलिस ने रविवार को बड़ा खुलासा किया। पुलिस के अनुसार विपिन की हत्या उसके ही तीन दोस्तों ने 20 लाख रुपये की लालच में की थी। हत्या के बाद आरोपी उसकी लाश को पांडु नदी के किनारे फेंक गए और चेहरे को बोरी से ढककर उस पर पत्थर रख दिया, ताकि पहचान न हो सके। शव मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई थी।
बुधवार 3 नवंबर की सुबह स्थानीय लोग टहलने निकले थे, तभी उन्हें पांडु नदी किनारे एक शव पड़ा दिखा। पुलिस को सूचना दी गई। जब मृतक की पहचान हुई, तो परिवार में कोहराम मच गया। पिता गंगा प्रसाद की तहरीर पर शुरुआत में संदेह के आधार पर दो भाइयों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जांच में वे निर्दोष पाए गए। इसके बाद पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से जांच आगे बढ़ाई और रविवार को घटना का खुलासा किया।
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जमीन का मुआवजा बना हत्या की वजह
साढ़ कस्बे के रहने वाले विपिन के पिता गंगा प्रसाद को ननिहाल से 12 बीघा जमीन मिली थी, जो डिफेंस कॉरिडोर में चली गई। इसका 2.40 करोड़ रुपए मुआवजा मिला। पहली किश्त के रूप में 60 लाख रुपये मिलने पर गंगा प्रसाद ने दोनों बेटों विपिन और अमित के नाम 20-20 लाख रुपये की एफडी कराई और शेष 20 लाख अपने खाते में जमा किए। इस एफडी की जानकारी विपिन के दोस्तों मनोज दीक्षित उर्फ लाखन, अरविंद चंदेल और ऑटो चालक प्रदीप साहू को हो गई। आर्थिक तंगी से जूझ रहे तीनों दोस्तों ने लालच में आकर हत्या की साजिश रची।
नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाकर ले गए सुनसान जगह
डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि 2 दिसंबर की रात तीनों ने फोन पर विपिन को बुलाया और कहा कि वे बारा देवी चौराहे पर बैठकर शराब पीएंगे। विपिन वहां पहुंचा तो उसे ऑटो में रखी नशीली कोल्ड ड्रिंक पिला दी गई। नशा चढ़ने के बाद उससे शराब भी खरीदवाई। इसी दौरान आरोपियों ने उसका यूपीआई पासवर्ड देख लिया और मोबाइल से रुपये ट्रांसफर करने की कोशिश की। उसकी सेविंग अकाउंट में केवल 6 हजार रुपये थे, जो ट्रांसफर हो गए, लेकिन एफडी से राशि निकालना संभव नहीं था।
थोड़ी देर बाद विपिन को होश आया तो उसे तीनों दोस्तों की नीयत पर शक हुआ और कहासुनी शुरू हो गई। पकड़े जाने के डर से आरोपियों ने उसे ऑटो में जबरन बैठाया और मेहरबान सिंह का पुरवा के सुनसान इलाके में ले गए।
विपिन गिड़गिड़ाता रहा, पर दोस्तों ने नहीं छोड़ा
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि घटना के समय सभी नशे में थे। विपिन रो-रोकर उनसे छोड़ने की गुहार लगाता रहा। इसके बावजूद उन्होंने किसी भारी चीज से उसके सिर पर वार कर दिया। हत्या के बाद पहचान छिपाने के लिए ईंट से उसका सिर कुचल दिया, हाथ पीछे की ओर रस्सी से बांध दिए और चेहरा बोरी से ढककर उस पर भारी पत्थर रख दिया। अगले दिन मनोज और अरविंद मौके पर दोबारा पहुंचे ताकि पता चल सके कि विपिन की मौत हुई या नहीं। शव वहीं मिलने पर वे लौट गए।
लास्ट कॉल और सीसीटीवी से खुला राज
पहले की जांच में मनोज दीक्षित का नाम सामने आया क्योंकि विपिन के मोबाइल की लास्ट कॉल उसी की थी। शुरुआती पूछताछ में उसने कुछ नहीं बताया, लेकिन कॉल लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज में ऑटो दिखाई देने के बाद पुलिस ने मनोज और प्रदीप को दोबारा पकड़ा। सख्ती के बाद तीनों टूट गए और पूरी घटना का खुलासा कर दिया। विपिन के परिवार में पत्नी शैलू, दो जुड़वा बेटे रामजी और श्यामजी तथा माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार न्याय और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।