

विश्व पर्यावरण दिवस पर जालौन जनपद में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान चलाया गया। पूरी खबर के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
जालौन में हरियाली का लिया संकल्प
उरई (जालौन): विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद में एक भावनात्मक और पर्यावरणीय जागरूकता से परिपूर्ण पहल “एक पेड़ माँ के नाम” कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में आयोजित इस विशेष अभियान में जनपद के विभिन्न जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
आयोजन में उपस्थित रहे ये खास लोग
डाइनामइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. घनश्याम अनुरागी, जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय, पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार, पूर्व मंत्री भानु प्रताप वर्मा, जल शक्ति मंत्री के प्रतिनिधि अरविंद चौहान, नगर पालिका अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, भाजपा जिलाध्यक्ष उर्विजा दीक्षित, प्रभागीय वनाधिकारी प्रदीप यादव, उप जिलाधिकारी ज्योति सिंह सहित अन्य गणमान्यजन मौजूद रहे।
आयोजन में वन विभाग द्वारा उपलब्ध हुए पौधे
कार्यक्रम के तहत नून नदी के किनारे लगभग 2 किलोमीटर क्षेत्र में त्रिवेणी पौधे नीम, पीपल और बरगद लगाए गए। वहीं इन पौधों को वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया, जिसे उपस्थित जनप्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों, वृक्ष मित्रों एवं नदी मित्रों ने उत्साहपूर्वक रोपा। विशेष रूप से ग्राम पंचायत चंदुरा, सतोह, अमीठा, बिरगुवाँ, सिमरिया, कैंथी, हरदोई, बरसेसी, बरहा, मुलूपुरा और कोकर के प्रधानों एवं प्रतिनिधियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम में इन लोगों की रही सक्रिय भागीदारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पहल में पूर्व प्रधान उपेंद्र सिंह, नरेंद्र प्रजापति, महेंद्र कुमार गौतम, लखन सिंह परिहार, नरेंद्र प्रताप सिंह, भारतेन्दु सिंह, राहुल उपाध्याय, नरेन्द्र सिंह परमार तथा रामकुमार राठौर ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
जिलाधिकारी ने इस खास अवसर पर क्या कहा ?
जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, यह पहल केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, पर्यावरणीय चेतना और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य का प्रतीक है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी का संदेश भी है।
वह आगे कहते हैं कि कार्यक्रम ने न केवल पर्यावरण संरक्षण की भावना को मजबूत किया, बल्कि समाज को यह प्रेरणा भी दी कि प्रकृति और मातृत्व दोनों की सेवा करना हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए।