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गोरखपुर जिले में दहेज हत्या के एक मामले में न्यायालय ने आरोपी को 10 साल की सजा और 20,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत पुलिस की त्वरित कार्रवाई और मजबूत पैरवी का परिणाम है।
गोरखपुर कोर्ट
Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के थाना बांसगांव क्षेत्र में दहेज हत्या के एक मामले में न्यायालय ने आरोपी को 10 साल के सश्रम कारावास और 20,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला फास्ट ट्रैक कोर्ट-1 गोरखपुर ने सुनाया। अदालत ने आरोपी बिरजू को दोषी ठहराया। आरोपी पर यह आरोप था कि उसने अपनी पत्नी को दहेज की मांग पूरी न होने पर प्रताड़ित किया और अंत में उसकी मृत्यु का कारण बना।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
यह मामला वर्ष 2024 में दर्ज हुआ था और आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (पत्नी को प्रताड़ित करना), 304B (दहेज हत्या), 323 (हमला), 504 (जानबूझकर अपमान करना) और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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ऑपरेशन कनविक्शन के तहत मजबूत पैरवी
पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित "ऑपरेशन कनविक्शन" अभियान के तहत यह एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य अदालतों में मुकदमों के त्वरित निस्तारण और दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया को तेज करना है। गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कुशल मार्गदर्शन में थाना बांसगांव पुलिस, मॉनिटरिंग सेल और पैरोकारों ने मुकदमे की हर सुनवाई में प्रभावी पैरवी की।
एसएसपी गोरखपुर का बयान
गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ने इस सफलता को लेकर कहा कि अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना ही न्याय प्रणाली में आम जनता का विश्वास बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने पुलिस टीम और न्यायिक अधिकारियों की सराहना की, जिन्होंने इस मामले को सशक्त रूप से आगे बढ़ाया और न्याय दिलवाया।
अभियोजन पक्ष की भूमिका
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला सरकारी अधिवक्ता (ADGC) श्री रमेश चन्द्र पाण्डेय का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने न्यायालय में ठोस तर्कों के साथ अभियोजन पक्ष का पक्ष रखा और यह सिद्ध किया कि आरोपी ने अपनी पत्नी को दहेज की मांग पूरी न करने पर प्रताड़ित किया, जिससे उसकी मृत्यु हुई।