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रामपुर थरियांव में भूमिधर भूमि पर कब्जे को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। पीड़िता प्रिय देवी ने DM फतेहपुर को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सीमांकन के बाद भी विपक्षी पक्ष ने जबरन खेत जोतकर धान की फसल बो दी। पुलिस और तहसील टीम के हस्तक्षेप के बावजूद कब्जा न हटने से पीड़िता परेशान है।
थानादिवस में शिकायत लेकर पहुंची पीड़िता
Fatehpur: फतेहपुर के रामपुर थरियांव में भूमि विवाद लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। भूमिधर भूमि पर अवैध कब्जे और फसल बोए जाने के मामले ने प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल बढ़ा दी है। पीड़िता प्रिय देवी ने जिलाधिकारी फतेहपुर को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि चार माह पूर्व राजस्व विभाग द्वारा कराए गए सीमांकन और पत्थर गाड़े जाने के बावजूद विपक्षी पक्ष उनकी जमीन पर लगातार अवैध दखल दे रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पीड़िता ने बताया कि उनके ग्राम रामपुर थरियांव, परगना हसवा, जिला फतेहपुर स्थित गाटा संख्या 5178 और 5310 का सीमांकन उपजिलाधिकारी न्यायिक के आदेश पर विधिवत रूप से कराया गया था। इसके बाद यह स्पष्ट हो चुका था कि उक्त भूमि उन्हीं की है। लेकिन सीमांकन को नज़रअंदाज़ करते हुए विपक्षी लल्लूराम, राम सिंह, महेंद्र और संदीप ने पहले खेत में जबरन ट्रैक्टर चलवाकर धान की रोपाई कर दी।
इस मामले की शिकायत जब पीड़िता द्वारा थानादिवस में की गई, तब नायब तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल और पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची। टीम ने विपक्षियों को जमीन पर किसी प्रकार का कार्य न करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद विपक्षियों ने प्रशासनिक आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए एक सप्ताह पहले दोबारा खेत जोत दिया और गेहूं की बुआई कर दी।
पीड़िता प्रिय देवी ने बताया कि वह लगातार उच्चाधिकारियों से न्याय की मांग कर रही हैं, लेकिन अब तक उचित कार्रवाई नहीं हुई है। शिकायत में उन्होंने एक गंभीर आरोप यह भी लगाया है कि क्षेत्रीय कानूनगो तिलकदत्त ने उन्हें कब्जा दिलाने के नाम पर करीब 60 हजार रुपये लिए थे, जिन्हें आज तक वापस नहीं किया गया। उनका कहना है कि नायब तहसीलदार हसवा, लक्ष्मी बाजपेयी के संरक्षण में विपक्षी पक्ष इतना दबंग हो गया है कि किसी प्रशासनिक आदेश का पालन नहीं कर रहा।
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पीड़िता ने अपने पत्र में DM से अनुरोध किया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए दोषी राजस्वकर्मियों पर कार्रवाई की जाए, साथ ही विपक्षी पक्ष के खिलाफ थरियांव थाने में एफआईआर दर्ज कराकर अवैध कब्जा तत्काल हटवाया जाए। उन्होंने कहा कि सीमांकन के बाद भी इस तरह खेत पर कब्जा बनाए रखना कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, यह विवाद पिछले लंबे समय से चल रहा है और कई बार प्रशासन को सूचना देने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं होने से विवाद बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन कठोर कदम उठाए, तो इस तरह के झगड़ों पर रोक लग सकती है।
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वहीं, पीड़िता का कहना है कि लगातार शिकायतों के बाद भी न्याय न मिलने से उनका परिवार भय और तनाव में जीवन व्यतीत कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिलाधिकारी स्तर से जल्द हस्तक्षेप कर उन्हें उनकी भूमि पर सही कब्जा वापस दिलाया जाएगा। फिलहाल, मामले की शिकायत DM कार्यालय में दर्ज हो चुकी है और अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह विवाद बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि संबंधी मामलों में राजस्व और पुलिस की सक्रियता कितनी आवश्यक है।