

महराजगंज में नौकरी के नाम पर फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने वाले अजीत सिंह को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। आरोपी कई वर्षों से फरार था और करोड़ों की ठगी कर चुका है। क्राइम ब्रांच ने दस्तावेजों के साथ उसे दबोचा।
फर्जी नियुक्ति पत्र घोटाले में कोलकाता से दबोचा गया मास्टरमाइंड अजीत सिंह
Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले की क्राइम ब्रांच ने नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले आरोपी अजीत सिंह को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि पनियरा थाना क्षेत्र के भवानीपुर कुर्मी टोला निवासी पीड़ित आनंद सिंह की शिकायत पर दर्ज मामले में यह कार्रवाई की गई।
आरोप है कि अजीत सिंह और उसके साथियों ने पीड़ित को नौकरी का झांसा देकर नकली नियुक्ति पत्र सौंपे और उनसे भारी रकम वसूली। यह मामला दिसंबर 2024 में दर्ज किया गया था, लेकिन प्रारंभिक जांच के बाद कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया था।
क्राइम ब्रांच ने फिर से शुरू की जांच
पीड़ित आनंद सिंह ने कई बार स्थानीय पुलिस को इस संबंध में शिकायत दी। अंततः मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। क्राइम ब्रांच की टीम, जिसमें निरीक्षक शशि नाथ और कांस्टेबल राजेश यादव शामिल थे। इन्होंने डिजिटल ट्रैकिंग और खुफिया जानकारी के जरिए अजीत सिंह को कोलकाता के गरियाहाट क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के दौरान अजीत सिंह के पास से कई फर्जी दस्तावेज, सरकारी विभागों की नकली मुहरें और नियुक्ति पत्र बरामद हुए। ये सभी दस्तावेज विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के नाम पर तैयार किए गए थे, जिससे उम्मीदवारों को झांसे में लिया जा सके।
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नई दिल्ली से लेकर कोलकाता तक फैला नेटवर्क
आरोपी अजीत सिंह नई राष्ट्रीय समिति, सेक्टर-18, द्वारका, नई दिल्ली का निवासी बताया गया है। वह लंबे समय से कोलकाता में छिपा हुआ था और वहीं से अपना फर्जीवाड़ा चला रहा था। दिलचस्प बात यह है कि जब वह खुद फरार था, उसी दौरान उसने पीड़ित के खिलाफ कोलकाता के ग्रिश पार्क थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, जिससे जांच भ्रमित हो सके। मगर क्राइम ब्रांच ने उसकी लोकेशन ट्रैक कर ली और उसे धर दबोचा।
जेल भेजा गया, आगे की जांच जारी
गिरफ्तारी के बाद अजीत सिंह को बुधवार शाम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। पनियरा थानाध्यक्ष निर्भय कुमार सिंह ने पुष्टि की कि अब केस की जांच विस्तृत रूप से की जाएगी और अन्य सहयोगियों की तलाश की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस फर्जीवाड़े में एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो नौकरी के इच्छुक युवाओं को निशाना बनाता है। बरामद दस्तावेजों के आधार पर और भी खुलासे हो सकते हैं।