

यह घटना 24 नवंबर 2024 को हुई थी, जब संभल जामा मस्जिद में एक सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क और संभल के सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लिए इन नेताओं का हाथ था।
जफर अली
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार मस्जिद के सदर जफर अली को जमानत दे दी है। इस फैसले के बाद अब जफर अली के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने जफर अली की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना 24 नवंबर 2024 को हुई थी, जब संभल जामा मस्जिद में एक सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क और संभल के सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लिए इन नेताओं का हाथ था।
पुलिस ने चार्जशीट में बनाया था सदर जफर अली को आरोपी
हालांकि, पुलिस ने विवेचना के दौरान सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल का नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया। जबकि सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इस हिंसा मामले में मस्जिद के सदर जफर अली को भी आरोपी बनाया गया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
जफर अली की जमानत याचिका
जफर अली ने अपनी जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याची के अधिवक्ता इरशाद अहमद और वरिष्ठ अधिवक्ता कमल कृष्णा ने अपनी दलील में कहा कि एफआईआर में जफर अली का नाम नहीं था। पुलिस ने 23 मार्च 2025 को विवेचना के दौरान जफर अली का नाम सामने आने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था।
किन शर्तों पर मिली जमानत
उन्होंने यह भी दलील दी कि जफर अली पर यह आरोप कि उन्होंने सर्वे के दौरान हिंसा भड़काई, पूरी तरह से झूठे और मनगढ़ंत हैं। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अनुरोध किया कि यदि जमानत दी जाती है तो वह इसका दुरुपयोग नहीं करेंगे और कानून का पालन करेंगे।
शासकीय अधिवक्ता का विरोध
वहीं, शासकीय अधिवक्ता ने जफर अली की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि जफर अली पर गंभीर आरोप हैं और ऐसे मामलों में जमानत देने से यह संदेश जाएगा कि इस प्रकार के हिंसक घटनाओं को कम महत्व दिया जा रहा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जफर अली की जमानत अर्जी को सशर्त स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह आदेश देते हुए कहा कि आरोपी जमानत मिलने पर इसके दुरुपयोग से बचने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी।
संबंधित पक्षों का बयान
जमानत के बाद जफर अली के परिजनों और समर्थकों में खुशी की लहर है। उनका कहना है कि जफर अली पर लगे सभी आरोप झूठे हैं और वह कभी भी हिंसा को बढ़ावा नहीं देंगे। जमानत मिलने के बाद जफर अली का जल्द ही जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।