

फतेहपुर में नवरात्रि के बाद दुर्गा मूर्तियों का भू-विसर्जन गंगा और यमुना के घाटों पर किया गया। जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए और ट्रैफिक को नियंत्रित किया गया। भक्तों ने इस पहल को पर्यावरण के लिए सराहनीय बताया।
दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन
Fatehpur: नवरात्रि के दस दिवसीय महापर्व के समापन के बाद जिले में दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम जारी है। इस बार मूर्तियों का पारंपरिक जल-विसर्जन न करते हुए गंगा और यमुना नदी के घाटों पर भू-विसर्जन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिससे नदियों के जल को प्रदूषण से बचाया जा सके। जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने इसके लिए चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं ने भी इस पहल की सराहना की है।
2023 पंडालों की मूर्तियां विसर्जित
जिले भर में कुल 2023 दुर्गा पंडाल स्थापित किए गए थे। विजयादशमी के बाद भक्तों ने ढोल-नगाड़ों, रंग-गुलाल और जयकारों के बीच दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम विदाई दी। लोग नाचते-गाते, भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर विसर्जन स्थलों पर पहुंचे और पूजा-अर्चना के बाद मूर्तियों का विधिवत भू-विसर्जन किया।
भिटौरा घाट पर भू-विसर्जन जारी, पुलिस बल तैनात
शहर के भिटौरा गंगा घाट पर विशेष रूप से भू-विसर्जन की व्यवस्था की गई थी। गंगा नदी किनारे श्मशान घाट के आगे एक सुरक्षित स्थान पर मूर्तियों को भूमि में विसर्जित किया जा रहा है। अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र पाल सिंह स्वयं मौके पर मौजूद रहे और पुलिस टीम के साथ स्थिति की निगरानी करते रहे।
घाट पर केवल मूर्तियों से भरे वाहनों को प्रवेश की अनुमति दी गई। भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई ताकि यातायात बाधित न हो। भिटौरा चौराहे पर टीएसआई पुष्पेंद्र सिंह, देवेंद्र कुमार, कॉन्स्टेबल दिव्यांशु यादव और हेड कॉन्स्टेबल रामबाबू जैसे अधिकारी ट्रैफिक नियंत्रण में सक्रिय दिखे।
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की रही बड़ी भागीदारी
शहर ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। अदमपुर, शिवराजपुर और बलखंडी घाटों पर भी मूर्ति विसर्जन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। खास बात यह रही कि इन घाटों पर महिलाओं की उपस्थिति अधिक रही, जिन्होंने पारंपरिक गीतों और भजनों के साथ मूर्तियों को विदाई दी।
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यमुना किनारे भी हुआ विसर्जन
धाता, किशनपुर, असोथर, अमौली और जहानाबाद क्षेत्रों की मूर्तियों का विसर्जन यमुना नदी किनारे भू-विसर्जन प्रक्रिया से किया गया। यहां भी पुलिस बल तैनात था और ट्रैफिक नियंत्रण की कड़ी व्यवस्था रही। भक्तों ने प्रशासन की इस व्यवस्था को सराहा।
भक्त राज किशोर और ओम प्रकाश ने कहा, "भू-विसर्जन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अच्छी पहल है। इससे गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल प्रदूषित होने से बचेगा और धार्मिक कार्य भी पूरे विधि-विधान से संपन्न होंगे।"
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
जिला प्रशासन का यह निर्णय न केवल धार्मिक रीति-रिवाजों के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी माना जा रहा है। भू-विसर्जन से नदियों में मूर्तियों के कारण होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकता है और यह भविष्य के लिए एक उदाहरण बन सकता है।