

क्या अहमदाबाद एयर इंडिया दुर्घटना को टाला जा सकता था? वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने विशेष शो “द एमटीए स्पीक्स” में बड़ी जानकारी दी। विशेष खबर डाइनामाइट न्यूज पर
वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने की विमान हादसे की समीक्षा
अहमदाबाद: 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण दुर्घटना में अब तक 265 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें 241 यात्री और चालक दल के सदस्य शामिल हैं। इस दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। साथ ही एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है- क्या इस दुर्घटना को टाला जा सकता था?
वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने विशेष शो "द एमटीए स्पीक्स" में विश्लेषण किया कि अहमदाबाद विमान दुर्घटना के पीछे का मुख्य कारण क्या थे और क्या इस घातक दुर्घटना को टाला जा सकता था?
क्या सुरक्षा जांच महज औपचारिकता बनकर रह गई है?
हर वाणिज्यिक उड़ान से पहले विमान को सात चरणों के निरीक्षण से गुजरना पड़ता है। इनमें उड़ान-पूर्व निरीक्षण, पारगमन निरीक्षण, दैनिक निरीक्षण, 48 घंटे का निरीक्षण, ए-चेक, सी-चेक और डी-चेक शामिल हैं। डी-चेक सबसे व्यापक और तकनीकी रूप से गहन निरीक्षण है, जिसमें विमान को लगभग पूरी तरह से अलग करके फिर से जोड़ा जाता है।
अगर इन सात स्तरों की गहन जांच के बाद भी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो सवाल उठता है कि क्या ये जांच सिर्फ चेकलिस्ट पर टिक करने की प्रक्रिया बन गई है। क्या इन प्रक्रियाओं में मानवीय लापरवाही और जवाबदेही की कमी है?
डीजीसीए की भूमिका और पारदर्शिता की कमी
भारत में, डीजीसीए (नागरिक विमानन महानिदेशालय) नागरिक विमानन के लिए नियमों की निगरानी और निर्धारण करता है। डीजीसीए दिशा-निर्देश तो तय करता है, लेकिन क्या यह सुनिश्चित करता है कि उनका ईमानदारी से पालन हो? पूर्व अधिकारियों के अनुसार, डीजीसीए ने पहले भी एयर इंडिया को सुरक्षा चूक के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन इन सुझावों पर गंभीरता से अमल नहीं किया गया।
एक और गंभीर चिंता पारदर्शिता को लेकर है। आम यात्रियों को इस बारे में जानकारी नहीं दी जाती है कि विमान की आखिरी बार गहन जांच कब की गई थी या कोई चेतावनी रिपोर्ट सार्वजनिक की गई थी या नहीं। एयरलाइनों की वेबसाइटों पर विमान की औसत आयु जैसी जानकारी का भी अभाव है।
तकनीकी पहलू और स्वतंत्र निगरानी
तकनीकी रूप से, हर विमान में इंजन स्वास्थ्य निगरानी, कंपन विश्लेषण और तेल मलबे की निगरानी जैसी प्रणालियाँ होनी चाहिए। इन परीक्षणों से प्राप्त डेटा को न केवल एयरलाइनों द्वारा बल्कि एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा भी सत्यापित किया जाना चाहिए। पश्चिमी देशों में स्वतंत्र और तकनीकी रूप से सक्षम निरीक्षण निकाय हैं जैसे कि FAA (US) या EASA (EU)। भारत में ऐसी व्यवस्था का न होना चिंता का विषय है। क्या भारत को भी अब ऐसी स्वतंत्र निगरानी व्यवस्था अपनानी चाहिए? पक्षियों का टकराना और एयरपोर्ट प्रबंधन की भूमिका पक्षियों का टकराना भी दुर्घटनाओं के लिए जोखिम कारक माना जा रहा है।