नीली बत्ती के मोह में फंसे गोरखपुर के डीएम साहब का जरा ये तर्क तो सुनिये..
<<नैतिकता बनाम नियम>> भले ही देश के पीएम मोदी और सीएम योगी वीआइपी कल्चर को पूरी तरह से खत्म करने का मन बना चुके हैं लेकिन गोरखपुर के जिलाधिकारी के साथ कई अधिकारी ऐसे हैं जो नीली बत्ती का मोह नहीं छोड़ पा रहे है। नियमों की आड़ में ये लाट साहब बनने का मोह त्याग ही नही पा रहे हैं।
गोरखपुर: देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हों या फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। इनके निर्देशों का कुछ अफसर जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। वह भी नियमों की आड़ में। पढ़-लिखकर अपने आप को जनता-जनार्दन से ऊपर समझने वाले कुछ आईएएस अफसर सरकार की किरकिरी कराने पर तूले हैं।
मामला यूपी के सीएम के गृह जनपद का है। यहां के डीएम राजीव रौतेला को पीएम या सीएम के व्यवहारिक निर्देश की कतई परवाह नही है। इन्हें अपने रसूख और आईएएस की पढ़ाई का घमंड है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद सभी मंत्रियों ने अपने वाहनों से लाल बत्ती उतार दी। इतना ही नहीं अधिकतर जिलों के डीएम-एसपी व अन्य अधिकारी भी बिना बत्ती लगे वाहन में चल रहे हैं लेकिन गोरखपुर के डीएम का जलवा-जलाल बरकरार है। हो भी क्यों न आईएएस जो ठहरे..जनता के प्रति जवाबदेही तो सिर्फ नेताओं की है.. रौतेला साहब पहाड़ से आते हैं और तराई के जिले में रुआब गांठने का कोई मौका छोड़ना नही चाहते। जिले भर में नीली बत्ती लगे वाहन से घूम भौकाल कुछ यूं गांठने में जुटे हैं जैसे बिना नीली बत्ती के वाहन में वे आईएएस ही नही रहेंगे।
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राजीव को हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर का डीएम बनाया गया है। अपने इस शहंशाही रुआब के बचाव में राजीव का जरा जवाब तो सुनिये..आप भी दांतो तले अंगुली दबा लेंगे।
"वाहन में नीली बत्ती का प्रकरण अभी उत्तर प्रदेश शासन के अधीन विचाराधीन है"
मतलब साफ है नैतिकता नाम के शब्द तो इन जैसे आईएएस अफसरों के लिए बने ही नही हैं.. ये तो सिर्फ पीएम और सीएम जैसे राजनेताओं के लिए हैं।
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ऐसे ही कुछ अफसरों की करतूतों से जनता के बीच ईमानदार औऱ अच्छे माने जाने वाले आईएएस अफसरों की छवि कहीं न कहीं प्रभावित हो रही है।