ट्रेन दुर्घटनाएं रोकने संबंधी सुरक्षा उपायों पर न्यायालय ने केंद्र से ब्योरा मांगा

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से देश में ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ सहित पहले से लागू या लागू करने के लिए प्रस्तावित सुरक्षात्मक उपायों के बारे में ब्योरा मांगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 January 2024, 6:59 PM IST
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से देश में ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' सहित पहले से लागू या लागू करने के लिए प्रस्तावित सुरक्षात्मक उपायों के बारे में ब्योरा मांगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने संबंधी सुरक्षा उपायों का मुद्दा उठाया गया है।

पीठ ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी से याचिका की एक प्रति अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को सौंपने कहा।

इसने कहा कि अटॉर्नी जनरल अदालत को 'कवच' योजना सहित सरकार द्वारा लागू किए गए या लागू करने के लिए प्रस्तावित सुरक्षात्मक उपायों के बारे में अवगत कराएंगे।

पीठ ने मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

तिवारी ने शीर्ष अदालत से कहा कि उनकी याचिका में सार्वजनिक सुरक्षा उपायों का मुद्दा उठाया गया है।

पिछले साल जून में ओडिशा के बालासोर जिले में हुई ट्रेन दुर्घटना का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार द्वारा एक सुरक्षा प्रणाली शुरू की गई थी, ताकि रेलगाड़ियों की टक्कर को रोका जा सके।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों रेलगाड़ियों के टकराने से कई दुर्घटनाएं हुई हैं।

पीठ ने पूछा, 'क्या इस बारे में कोई कवायद की गई है कि 'कवच' प्रणाली को अखिल भारतीय आधार पर लागू किए जाने पर कितनी वित्तीय लागत आएगी।'

इसने कहा, ''हर चीज का वित्तीय पहलू से सह-संबंध होता है, क्योंकि अंततः इसका बोझ यात्रियों पर डाला जाएगा।''

तिवारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लोगों का जीवन और सुरक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में शीर्ष अदालत को अवगत कराना चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार याचिका में रेलवे प्रणाली में जोखिम एवं सुरक्षा मापदंडों का विश्लेषण और समीक्षा करने तथा रेलवे प्रणाली को मजबूत करने के लिए व्यवस्थित सुरक्षा संशोधनों का सुझाव देने के लिए शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तकनीकी सदस्यों से युक्त एक विशेषज्ञ आयोग गठित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने तथा इस संबंध में रिपोर्ट अदालत को सौंपे जाने का आग्रह किया गया है।