कांग्रेस ने पूछा- क्या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने मित्रों के फायदे के उपकरण के रूप में देखते हैं पीएम मोदी?
कांग्रेस ने शुक्रवार को मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, लेकिन अब उसे अडाणी के स्वामित्व वाले गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, लेकिन अब उसे अडाणी के स्वामित्व वाले गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को केवल अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखते हैं?
उधर, आईओसी ने आंध्र प्रदेश के गंगावरम स्थित अडाणी समूह के बंदरगाह को एलपीजी के आयात के लिए साथ जोड़ने से संबंधित शुरुआती समझौते पर बृहस्पतिवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि समूह के साथ उसका ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ समझौता नहीं हुआ है।
तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने अडाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड के तहत संचालित गंगावरम बंदरगाह को किसी निविदा के बगैर ही आईओसी का एलपीजी आयात केंद्र बनाए जाने पर सवाल उठाए थे।
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कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत पिछले कुछ दिनों की तरह शुक्रवार को भी कांग्रेस नेता रमेश ने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल किए।
रमेश ने दावा किया, ‘‘हमें पता चला है कि आईओसी, जो पहले सरकार द्वारा संचालित विशाखापत्तनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, को अब इसकी बजाय पड़ोस के गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है और वह भी 'आपूर्ति लो या भुगतान करो' जैसे एक प्रतिकूल अनुबंध के आधार पर।’’
उन्होने प्रधानमंत्री से सवाल किया, ‘‘क्या आप भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को केवल अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखते हैं?’’
रमेश के अनुसार, ‘‘आईओसी ने स्पष्ट किया है कि उसने ‘अडाणी पोर्ट्स’ के साथ केवल एक 'गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन' पर हस्ताक्षर किए हैं और अभी तक किसी “आपूर्ति लो या भुगतान करो” जैसे बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षार नहीं किए है। क्या अडानी पोर्ट्स ने अनजाने में इस खेल को अंतिम रूप देने से पहले इसका खुलासा कर दिया था? ’’
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उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या ऐसे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से उस दिशा का संकेत नहीं दे रहे हैं, जिसमें आईओसी को धकेला जा रहा है?’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘आईओसी शेयरधारकों के हितों के संरक्षण की निगरानी कौन कर रहा है?’’