छात्र नेता से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले अरुण जेटली थे भाजपा के संकटमोचक

डीएन ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी के 'थिंक टैंक' के रूप में पहचान रखने वाले अरुण जेटली ने दिल्ली विश्विद्यालय के छात्र आंदोलन से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। करीब चार दशक तक भारतीय राजनीति में छाये रहे। वह रणनीति में बनाने के माहिर माने जाते थे। डाइनामाइट न्‍यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर..

अरुण जेटली (फाइल फोटो)
अरुण जेटली (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के ‘थिंक टैंक’ के रूप में पहचान रखने वाले अरुण जेटली ने दिल्ली विश्विद्यालय के छात्र आंदोलन से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। करीब चार दशक तक भारतीय राजनीति में छाये रहे। इसके अलावा उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान की।

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28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में जन्मे जेटली न केवल एक चर्चित वकील रहे बल्कि वह संसद में सरकार के ‘संकट माेचक’ वक्ता के रूप में भी जाने जाते थे। 

दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के चुने गए थे छात्र संघ अध्‍यक्ष

वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के बाद उन्हें आपातकाल के दौरान जेल में भी रहना पड़ा। इसके बाद धीरे-धीरे वह राजनीतिक की सीढ़ियां चढ़ते हुए शीर्ष पर पहुंच गये। उन्होंने केंद्र सरकार के कई प्रमुख मंत्रालयों का प्रभार संभाला और वर्ष 2014 से 2019 तक भारत के वित्त एवं कॉर्पोरेट मामालों के मंत्री रहे।

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कई मंत्रालयों का संभाला जिम्‍मा

जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार में वित्त, रक्षा, कॉर्पोरेट, वाणिज्य एवं उद्योग, कानून एवं न्याय से संबंधित मंत्रालयों का प्रभार संभाला था। वह वर्ष 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में भी योगदान दिया। उन्होंने इस वर्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में वापसी करने के बाद अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण श्री मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया।

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अरुण जेटली (फाइल फोटो)

पार्टी और मंत्रालयों दोनों में किया बेहतरीन कार्य

पूर्व वित्त मंत्री वर्ष 1991 से ही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। वह वर्ष 1999 के आम चुनाव से पहले भाजपा के प्रवक्ता थे। उन्हें वर्ष1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग के सत्ता में आने के बाद सूचना एवं प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बनाया गया। उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी बनाया गया था। 

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जेटली को 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय एवं कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। उन्हें यह अतिरिक्त प्रभार उस समय के कानून, न्याय एवं कंपनी मामलों के मंत्री राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद सौंपा गया था। 

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से किया था स्‍नातक

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने वर्ष1957 से 69 तक दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने वर्ष 1973 में नई दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से काॅमर्स से स्नातक किया और वर्ष 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। 

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आपातकाल के दौरान जेल में गुजारे थे 19 महीने

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जेटली 70 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता थे और 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बने। उन्हें वर्ष1975-77 के आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक हिरासत में रखा गया। 

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जेपी द्वारा चलाए गए भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन में रहे थे शामिल

पूर्व वित्त मंत्री वर्ष1973 में राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किये गए आंदाेलन के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे थे। जेल से रिहा होने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गये।

जम्‍मू कश्‍मीर से था अनोखा रिश्‍ता

जेटली वर्ष 1982 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री गिरधारी लाल डोगरा की पुत्री संगीता के साथ परिणय सूत्र में बंध गये थे। जेटली के परिवार में पत्नी, बेटा रोहन और बेटी सोनाली है। 










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