सरकारी अधिकारियों को तलब करने के मनमाने अदालती आदेश संविधान के अनुकूल नहीं

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों को तलब करने के मनमाने अदालती आदेश संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुकूल नहीं हैं। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय की। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 3 January 2024, 1:38 PM IST
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों को तलब करने के मनमाने अदालती आदेश संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुकूल नहीं हैं। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय की।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड, न्यामूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालतों के लिए एसओपी इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें अधिकारियों को मनमाने तरीके से तलब करने से बचना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालतें किसी अधिकारी को केवल इसलिए तलब नहीं कर सकतीं कि उनकी राय अदालतों की राय से भिन्न है।

इसमें कहा गया कि अदालतों को ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए जो अधिकारियों को अपमानित करने वाली हों।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उन आदेशों को भी खारिज किया जिनके आधार पर उत्तर प्रदेश वित्त विभाग के दो सचिवों को हिरासत में लिया गया था।

इससे पहले पीठ ने कहा था कि वह सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए देशभर की अदालतों के वास्ते व्यापक दिशानिर्देश जारी करेगी।

Published : 
  • 3 January 2024, 1:38 PM IST