

भारतीय युवा मुक्केबाजों ने अंडर-22 एशियाई चैंपियनशिप में दमदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई। नीरज, इशान, यात्री पटेल और प्रिया ने जीत के झंडे गाड़े, जबकि कुछ खिलाड़ियों को हार का सामना करना पड़ा। टीम के लिए यह उपलब्धि बड़ी उम्मीद जगाती है
अंडर 22 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप (Img. BFI-X)
New Delhi: भारतीय युवा मुक्केबाजों ने अंडर-22 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है। इस प्रतियोगिता में नीरज, इशान कटारिया, यात्री पटेल और प्रिया ने अपने-अपने वर्गों में दमदार जीत दर्ज की, जबकि कुछ अन्य खिलाड़ियों को कड़ी हार का सामना करना पड़ा।
पुरुषों के 75 किलोग्राम भार वर्ग में नीरज ने दक्षिण कोरिया के योंगहो बैंग को 5-0 से मात दी। उनकी यह जीत भारतीय टीम के लिए उत्साहजनक रही। वहीं, 90 किलोग्राम से अधिक वर्ग में मुक्केबाज इशान कटारिया ने चीन के चेन चेन के खिलाफ मुकाबला तब जीत लिया जब रेफरी ने तीन राउंड के बाद मैच रोक दिया। यह निर्णय इशान के पक्ष में गया, जिससे उनकी टीम को एक और महत्वपूर्ण जीत मिली।
महिलाओं के 57 किलोग्राम वर्ग में यात्री पटेल ने वियतनाम की थी नुंग क्वांड को 5-0 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इसके अलावा, 60 किलोग्राम वर्ग की मुक्केबाज प्रिया ने उज्बेकिस्तान की ओडिनाखोन इस्मोइलोवा को मात देकर अपनी जगह पक्की की। इन दोनों मुक्केबाजों के प्रदर्शन से भारतीय टीम की महिला मुक्केबाजी में मजबूती साफ झलक रही है।
रॉकी चौधरी का मुकाबला ईरान के सैम एस्टाकी के खिलाफ था, लेकिन दुर्भाग्यवश उनके दोनों भौंहों के ऊपर कट लग जाने के कारण मैच दूसरे राउंड के बाद रोकना पड़ा। वहीं, हर्ष (60 किलोग्राम) और मयूर (90 किलोग्राम) अपने प्रतिद्वंद्वियों से हार गए। हर्ष को उज्बेकिस्तान के शोहरूह अब्दुमालिक ने 5-0 से हराया, जबकि मयूर को उज्बेकिस्तान के शाखजोद पोलवोनोव ने पराजित किया। इसके अलावा, अंकुश को कजाकिस्तान के संजर अली बेगालिएव ने 5-0 से मात दी।
महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में भावना शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। साथ ही, पार्थवी ग्रेवाल (60 किलोग्राम), प्रांजल यादव (65 किलोग्राम) और श्रुति (75 किलोग्राम) ने भी सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक हासिल किया। हालांकि ये खिलाड़ी पदक जीतने में सफल रहे, लेकिन उनकी टीम का लक्ष्य स्वर्ण पदक था।
भारतीय युवा मुक्केबाजों के इस प्रदर्शन से आगामी भविष्य के लिए उम्मीदें जागृत हुई हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष के परिणामस्वरूप भारत ने एशियाई मंच पर अपना दबदबा कायम किया है। टीम के प्रशिक्षकों और समर्थकों की नजरें अब फाइनल मुकाबलों पर टिकी हैं, जहाँ भारतीय मुक्केबाज पदक की चुनौती पेश करेंगे।