

भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश और विश्व चैम्पियन मैग्नस कार्लसन के बीच शतरंज की नई प्रतिद्वंद्विता ने खेल जगत में हलचल मचा दी है। गुकेश ने हाल ही में कई मैचों में कार्लसन को हराकर अपनी ताकत साबित की है, जबकि कार्लसन ने सोशल मीडिया पर उन्हें चुनौती देते हुए कहा है कि गुकेश अभी उनके स्तर के नहीं हैं।
डी गुकेश और मैग्नस कार्लसन (सोर्स- सोशल मीडिया)
New Delhi: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश और नॉर्वे के पूर्व विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन के बीच प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत तब हुई जब दिसंबर 2024 में गुकेश ने विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। यह जीत डिंग लिरेन के खिलाफ आई थी, जहां लिरेन की एक बड़ी गलती का गुकेश को फायदा मिला। इसके बाद कार्लसन ने इस जीत की गुणवत्ता पर सवाल उठाए और अप्रत्यक्ष रूप से गुकेश की क्षमता पर संदेह जताया।
कार्लसन यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि गुकेश अभी उनके स्तर के खिलाड़ी नहीं हैं और सुपरयूनाइटेड रैपिड व ब्लिट्ज टूर्नामेंट से पहले उन्हें इन फॉर्मेट्स में कमज़ोर प्रतिद्वंदी बताया। उनकी इन टिप्पणियों से यह साफ था कि वे गुकेश को चुनौती मानने को तैयार नहीं हैं।
डी गुकेश ने आलोचनाओं का जवाब अपने खेल से दिया। उन्होंने नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट में पहली बार क्लासिकल फॉर्मेट में कार्लसन को हराया। इसके बाद जाग्रेब में रैपिड फॉर्मेट में भी गुकेश ने बाजी मारी। इन दो अहम जीतों ने यह साबित कर दिया कि वह अब हर स्तर पर मुकाबले के लिए तैयार हैं।
ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप के दौरान कार्लसन ने एक सोशल मीडिया सेशन में भाग लिया जहां उन्हें तब तक चुप रहना था जब तक कोई उनसे बेहतर शतरंज खिलाड़ी का नाम न ले। वह बॉबी फिशर जैसे नाम पर भी चुप रहे, लेकिन गैरी कास्परोव का नाम सुनते ही बोले। इस वीडियो पर इंस्टाग्राम पर उन्होंने टिप्पणी की गुकेश के लिए भी चुप रहते।
गुकेश से नॉर्वे शतरंज में हारने के बाद कार्लसन का गुस्सा साफ नजर आया। उन्होंने गुस्से में मेज पर जोर से मुक्का मारा, जिससे गोटियां नीचे गिर गईं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मैच के बाद कार्लसन ने कहा, “सच कहूं तो, मुझे शतरंज खेलने में अब कोई मजा नहीं आ रहा। मैं खेलते समय लगातार हिचकिचा रहा हूं।”
दूसरी ओर, गुकेश ने संयमित और शांत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मैग्नस को हराना हमेशा खास होता है। शुरुआत में मेरी स्थिति खराब थी, लेकिन मैंने गलतिया सुधारीं और मैच जीत पाया। इस जीत से मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा है।”
डी गुकेश और मैग्नस कार्लसन की यह प्रतिद्वंद्विता अब सिर्फ शतरंज की 64 खानों तक सीमित नहीं रह गई है। यह मुकाबला अब मानसिक ताकत, आत्मविश्वास और रणनीतिक सोच का प्रतीक बन गया है। दर्शकों के लिए यह एक नया अध्याय है शतरंज की सबसे दिलचस्प और उभरती हुई दुश्मनी का।