पीएम की इस स्कीम से आप रोजाना कमा सकते हो 500 रुपये, फायदा लेने के लिए पढ़ें पूरी खबर

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है। जिसके माध्यम से पारंपरिक कारीगरों, शिल्पकारों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य है कि कारीगरों को आधुनिक प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और नए अवसरों के माध्यम से दोबारा मुख्यधारा से जोड़ा जाए।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 5 October 2025, 2:07 AM IST
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New Delhi: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है। जिसके माध्यम से पारंपरिक कारीगरों, शिल्पकारों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य है कि कारीगरों को आधुनिक प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और नए अवसरों के माध्यम से दोबारा मुख्यधारा से जोड़ा जाए।

कारीगरों के लिए रोज़ाना 500 रुपये की सहायता

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को 15 दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण के दौरान सरकार द्वारा उन्हें प्रतिदिन ₹500 तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है ताकि वे अपने दैनिक खर्च पूरे कर सकें और अपने पारंपरिक व्यवसाय को मजबूती से दोबारा शुरू कर सकें। इस योजना का फायदा देशभर के बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, दर्जी, मोची, राजमिस्त्री, नाई और धोबी जैसे पारंपरिक पेशों से जुड़े लोगों को दिया जा रहा है।

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कम ब्याज पर लोन और आर्थिक सहयोग

सरकार योजना के तहत पात्र कारीगरों को एक लाख रुपये तक का लोन बहुत ही कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराती है। अगर लाभार्थी समय पर भुगतान करता है तो अगली किश्त में दो लाख रुपये तक का लोन भी स्वीकृत किया जा सकता है। इस प्रावधान का उद्देश्य छोटे कारीगरों को आर्थिक मजबूती देकर उनके काम का विस्तार करना और उनके माध्यम से अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

प्रशिक्षण, टूलकिट और प्रमाणपत्र से आत्मनिर्भरता की दिशा

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा कारीगरों को न केवल प्रशिक्षण बल्कि आधुनिक टूलकिट भी दी जाती है। साथ ही उन्हें ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा पहचान पत्र’ और प्रमाणपत्र भी जारी किए जाते हैं। इन दस्तावेजों के माध्यम से वे औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त कारीगर के रूप में सरकारी योजनाओं और वित्तीय सहायता का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों को नई तकनीक और बाजार की जरूरतों के अनुरूप काम करने की जानकारी दी जाती है ताकि वे आधुनिक मांगों के हिसाब से अपने उत्पाद तैयार कर सकें।

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ग्रामीण और छोटे शहरों पर विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का खास फोकस ग्रामीण और छोटे शहरों में रहने वाले पारंपरिक श्रमिकों पर है। पहले इन कारीगरों को बैंक लोन और सरकारी सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होती थी, लेकिन अब यह योजना उन्हें एक सीधा और पारदर्शी प्लेटफॉर्म दे रही है। इस पहल से न केवल कारीगरों की आय में वृद्धि होगी बल्कि स्थानीय स्तर पर स्वरोज़गार और लघु उद्योगों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

परंपरा से प्रगति की ओर

सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि सदियों पुरानी हस्तकला और पारंपरिक व्यवसायों को आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहयोग से सशक्त किया जाए। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के माध्यम से ‘कला से रोजगार’ की दिशा में देश में नई क्रांति लाने की कोशिश की जा रही है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 5 October 2025, 2:07 AM IST