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संविधान दिवस 2025 पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के 9 भाषाओं में अनुवादित और डिजिटल संस्करण जारी किए। ‘हमारा संविधान–हमारा स्वाभिमान’ थीम के साथ देशभर में कार्यक्रम हुए। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन और विदेशी न्यायाधीशों की मौजूदगी ने समारोह को खास बनाया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 भाषाओं में संविधान के अनुवादित संस्करण किए जारी
New Delhi: भारत आज अपना 76वां संविधान दिवस मना रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुवादित संस्करणों को नौ भारतीय भाषाओं मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया में जारी किया। यह समारोह नई दिल्ली स्थित पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में आयोजित हुआ, जहां संविधान दिवस का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस अवसर पर कहा कि पिछले वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालना भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया था कि नागरिकों के व्यक्तिगत और लोकतांत्रिक अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें और वही भावना आज भी देश को आगे बढ़ा रही है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के डिजिटल संस्करण को भी 9 भाषाओं में जारी किया। यह पहल देश के नागरिकों तक संविधान की पहुंच बढ़ाने और भाषाई विविधता को सम्मान देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल होते हुए उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारत का संविधान लगातार यह दर्शाता है कि भारत एक है और हमेशा एक रहेगा। उन्होंने संविधान को सामाजिक न्याय, समानता और कमजोर वर्गों के आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत आधार बताया।
संविधान के डिजिटल संस्करण का विमोचन
उन्होंने आगे कहा कि अमृत काल के इस दौर में देश को विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ काम करना होगा। उपराष्ट्रपति ने चुनावी, सामाजिक, न्यायिक और वित्तीय सुधारों की जरूरत पर भी जोर दिया, ताकि भारत तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों में मजबूत बन सके।
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इस वर्ष संविधान दिवस का राष्ट्रीय थीम “हमारा संविधान–हमारा स्वाभिमान” रखा गया है। मुख्य कार्यक्रम संविधान सदन (पुरानी संसद) के प्रतिष्ठित सेंट्रल हॉल में आयोजित हुआ, जहां कई वरिष्ठ नेता, सांसद, न्यायाधीश और विदेशी प्रतिनिधि मौजूद रहे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस विशेष दिन नागरिकों को शुभकामनाएं दीं और संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य की दूरदर्शिता, ज्ञान और कठिन परिश्रम के कारण हमें ऐसा संविधान मिला जो प्रत्येक नागरिक को न्याय, समानता, सम्मान और अधिकार प्रदान करता है।
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संविधान दिवस कार्यक्रम का एक बड़ा आकर्षण विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीशों की उपस्थिति रही। भूटान, श्रीलंका, केन्या, मॉरिशस, नेपाल और मलेशिया के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश भारत के सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुए। CJI सूर्यकांत ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताया और मेहमानों का स्वागत किया। इस अवसर पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।