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अन्नपूर्णा जयंती 2025 इस बार 4 दिसंबर को मनाई जाएगी। अगहन पूर्णिमा पर माता अन्नपूर्णा की पूजा से घर में अन्न, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है। जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पार्वती जी के अन्नपूर्णा अवतार की कथा और जयंती का धार्मिक महत्व।
अन्नपूर्णा जयंती कब? (Img-Google)
New Delhi: अगहन मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है और इसी महीने की पूर्णिमा पर माता अन्नपूर्णा का प्राकट्य दिवस अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न, समृद्धि, पोषण और जीवन निर्वाह की देवी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, अन्न दान को सर्वोत्तम दान बताया गया है और ऐसा माना जाता है कि जो भक्त माता अन्नपूर्णा की आराधना करता है उसके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
अन्नपूर्णा जयंती 2025 का पर्व इस वर्ष 4 दिसंबर 2025 को मनाया जाएगा। अगहन पूर्णिमा का यह शुभ दिन हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने घर में सुख-शांति और समृद्धि चाहता है।
इस अवधि में माता अन्नपूर्णा की विधिवत पूजा, अन्न दान और परिवार के कल्याण के लिए विशेष आराधना का अत्यधिक महत्व बताया गया है।
यह कथा स्कंदपुराण और शिवपुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि संसार की हर चीज़, यहां तक कि अन्न भी माया है और इस जगत का वास्तविक अस्तित्व नहीं है।
माता अन्नपूर्णा की पूजा (Img- google)
मां पार्वती शिवजी की इस बात से अप्रसन्न हुईं और उन्होंने संसार से समस्त अन्न को लुप्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर भीषण अकाल पड़ गया।
सभी भूख से तड़पने लगे।
तब शिवजी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने माता पार्वती से क्षमा याचना की।
उसी क्षण पार्वती जी ने अन्नपूर्णा देवी का दिव्य रूप धारण किया और वाराणसी (काशी) में काशीवासियों को अन्न प्रदान किया।
तभी से अगहन पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है ताकि लोगों के जीवन में भोजन, समृद्धि और संतोष बना रहे।
शास्त्रों में कहा गया है कि “अन्नदान महादानम्” अर्थात अन्नदान से बढ़कर कोई दान नहीं।
Disclaimer: यह जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। Dynamite News इस खबर की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है। इसे किसी वैज्ञानिक प्रमाण से जोड़कर न देखें।
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