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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत आज देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीनों का होगा और वे 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। शपथ समारोह में 7 देशों के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे
New Delhi: भारत की न्यायपालिका आज एक नए चरण में प्रवेश करने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में पद की शपथ दिलाएंगी। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा। देश की न्याय व्यवस्था को गति देने की उम्मीदों के बीच, जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति न केवल कानून के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है।
जस्टिस सूर्यकांत ने शपथ ग्रहण से पहले कहा कि सुप्रीम कोर्ट और देशभर की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनका पहला कदम सभी हाई कोर्ट के साथ समन्वय कर जिला और अधीनस्थ अदालतों की समस्याओं की पहचान करना होगा।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के छोटे-से गांव पेटवाड़ में मदनगोपाल शास्त्री और शशि देवी के घर हुआ। पिता संस्कृत के शिक्षक और माता गृहिणी थीं। वे पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। बचपन से ही पढ़ाई और मेहनत उनकी आदत रही। पिता चाहते थे कि वे एलएलएम करें, लेकिन सूर्यकांत ने एलएलबी के बाद तुरंत वकालत शुरू करने का निर्णय लिया।
इसके बाद, 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने हिसार कोर्ट से अपने करियर की शुरुआत की। एक वर्ष बाद वे चंडीगढ़ चले गए, जहां उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। अपने करियर के दौरान उन्होंने संवैधानिक व प्रशासनिक मामलों पर गहरी पकड़ बनाई और कई बड़े संस्थानों, जैसे बोर्ड, बैंक, विश्वविद्यालय और सरकारी विभागों का प्रतिनिधित्व किया।
उनकी क्षमता के बल पर वे केवल 38 वर्ष की उम्र में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने। 2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद अक्टूबर 2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और फिर 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पद ग्रहण किया।
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जस्टिस सूर्यकांत आत्मविकास में विश्वास रखते हैं। उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में परास्नातक भी पूरा किया। नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन के रूप में भी कार्यरत हैं।
करियर के साथ-साथ वे साहित्य, कविता और पर्यावरण सेवाओं में भी सक्रिय रहे। कॉलेज के समय उनकी कविता “मेंढ पर मिट्टी चढ़ा दो” काफी चर्चा में रही। वे अपने गांव में तालाब के पुनरुद्धार के लिए आर्थिक सहयोग भी दे चुके हैं और उसके चारों ओर पेड़-पौधे लगवाए। इसके अलावा, वे 'Administrative Geography of India' नामक एक पुस्तक के लेखक भी हैं।