

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों की याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से इनकार करते हुए आधार और वोटर कार्ड के समावेश पर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट (Img: Google)
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल SIR की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी, जिससे चुनाव आयोग को राहत मिली है। साथ ही, पीठ ने यह भी पूछा कि आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को SIR प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया गया।
यह फैसला उन विपक्षी दलों के लिए झटका माना जा रहा है, जिन्होंने आशंका जताई थी कि SIR के जरिए बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा सकता है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में आयोग से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
ड्राफ्ट लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने 1 अगस्त को प्रस्तावित ड्राफ्ट लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह ड्राफ्ट लिस्ट लंबित याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन होगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार और वोटर आईडी से संबंधित प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि अगर इन दस्तावेजों को पुनरीक्षण प्रक्रिया में स्वीकार नहीं किया गया, तो बड़े पैमाने पर लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
वोटर आईडी पहले से ही फॉर्म का हिस्सा
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा कि वोटर आईडी पहले से ही फॉर्म का हिस्सा है, जबकि आधार संख्या भरना वैकल्पिक है। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग को राशन कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने में कठिनाई हो रही है। आयोग का यह रुख सुप्रीम कोर्ट की उस पुरानी टिप्पणी पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। इस मामले पर मंगलवार को फिर से सुनवाई होगी, जहां दस्तावेजों की मान्यता और SIR की प्रक्रिया की वैधता पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
इस विवाद के केंद्र में है SIR प्रक्रिया, जो मतदाता सूची को अद्यतन करने के उद्देश्य से की जा रही है। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए वोटर सूची से वैध मतदाताओं को बाहर किया जा सकता है।
नौ दलों ने दाखिल की थी याचिका
इस मामले में विपक्ष की ओर से कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, शिवसेना (UBT), समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), और CPI(ML) सहित 9 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी की सुप्रिया सुले, सीपीआई के डी. राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर मलिक, शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत और CPI(ML) के दीपांकर भट्टाचार्य प्रमुख हैं।