

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगी। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के इस आदेश को रद्द करने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ करेगी।
सुप्रीम कोर्ट (Img: Google)
New Delhi: बिहार में आगामी चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ करेगी।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ी और अपात्र व्यक्तियों के नाम हटाने के लिए एसआईआर को आवश्यक और उचित ठहराया है। आयोग का तर्क है कि इससे चुनावी प्रक्रिया की शुचिता बनी रहेगी और केवल वैध मतदाता ही मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। हालांकि, इस फैसले के विरोध में कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने याचिकाएं दायर कर चुनाव आयोग के इस आदेश को अवैध और जनतंत्र के खिलाफ बताया है।
बड़ी संख्या में घट सकती है मतदाताओं की संख्या
मुख्य याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) का कहना है कि एसआईआर में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को अत्यधिक और अनियंत्रित विवेकाधिकार दिया गया है, जिससे बड़ी संख्या में योग्य मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर किए जाने का खतरा है। उनका आरोप है कि इससे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा और व्यापक जनसंख्या मताधिकार से वंचित हो सकती है।
बीती 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने इस मामले में कुछ दस्तावेजों को वैध माना था। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान मान्य दस्तावेजों के रूप में स्वीकार करने पर विचार किया था।
बिहार में भारी राजनीतिक विवाद
एसआईआर को लेकर बिहार में भारी राजनीतिक और सामाजिक विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-ML) सहित कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
इन नेताओं ने जताया विरोध
राजद सांसद मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी के सुप्रिया सुले, सीपीआई के डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की हैं। सभी ने चुनाव आयोग के एसआईआर के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
विपक्षी दलों का तर्क है कि एसआईआर के कारण बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में उचित नियम-कायदे बनाकर सभी को मताधिकार सुनिश्चित किया जाए।
अब सुप्रीम कोर्ट की सोमवार की सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि चुनाव आयोग का आदेश टिकाऊ है या नहीं और आगामी चुनावों में मतदाता सूची से संबंधित विवादों का समाधान कैसे होगा।