न्याय, भरोसा और भय: इशिता के शब्दों में पढ़ें आठ साल की कहानी, कुलदीप सेंगर की बेटी का भावुक पोस्ट

उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को मिली राहत पर रोक लगा दी है। इसके बाद सेंगर की छोटी बेटी इशिता ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट साझा किया। पोस्ट में उन्होंने न्याय प्रणाली पर भरोसे, डर और टूटते विश्वास की बात कही है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 29 December 2025, 5:24 PM IST
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New Delhi: उन्नाव रेप केस से जुड़े एक अहम घटनाक्रम में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ा झटका दिया। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए सशर्त जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर लगी रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कुलदीप सिंह सेंगर की अपील लंबित रहने तक दोषसिद्धि को निलंबित करते हुए उन्हें सशर्त जमानत दी थी। इस आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सेंगर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

बेटी इशिता सेंगर का भावुक पोस्ट

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कुलदीप सेंगर की छोटी बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया पर एक लंबा और भावनात्मक पोस्ट साझा किया है। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि उनका अदालत और संविधान पर पूरा भरोसा था और वह अपने पिता के बाहर आने का इंतजार कर रही थीं, लेकिन मौजूदा स्थिति ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया है।

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‘मैं एक बेटी के रूप में लिख रही हूं’

इशिता ने अपने पोस्ट में लिखा कि वह यह बात एक बेटी के रूप में लिख रही हैं, जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे भरोसा खो रही है, लेकिन फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों से उनका परिवार चुपचाप न्याय का इंतजार करता रहा और यह विश्वास बनाए रखा कि कानून के रास्ते से ही सच्चाई सामने आएगी।

पहचान से बंधा दर्द

इशिता ने यह भी लिखा कि उनके शब्दों को सुने जाने से पहले ही उनकी पहचान केवल एक लेबल तक सीमित कर दी जाती है- एक राजनेता की बेटी। उनके अनुसार, इस पहचान के चलते उन्हें निष्पक्षता, सम्मान और अपनी बात रखने के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने बिना तथ्यों और दस्तावेजों को देखे ही उनके जीवन के मूल्य को नकार दिया।

सोशल मीडिया पर मिली नफरत का जिक्र

अपने पोस्ट में इशिता ने सोशल मीडिया पर मिलने वाली नफरत और अपमान का भी जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि बीते वर्षों में उन्हें लगातार अपमानजनक और डराने वाले संदेश मिले, जिसने उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया। उनके अनुसार, यह नफरत काल्पनिक नहीं बल्कि रोजमर्रा की वास्तविकता बन चुकी है।

‘सच्चाई को तमाशे की जरूरत नहीं’

इशिता ने लिखा कि उनके परिवार ने मौन इसलिए नहीं चुना क्योंकि वे ताकतवर थे, बल्कि इसलिए क्योंकि वे संस्थाओं पर भरोसा करते थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो विरोध प्रदर्शन किए और न ही मीडिया में शोर मचाया, क्योंकि उनका मानना था कि सच्चाई को साबित होने के लिए तमाशे की जरूरत नहीं होती।

आठ साल की चुप्पी की कीमत

पोस्ट में इशिता ने यह भी कहा कि इस चुप्पी की भारी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। उन्होंने लिखा कि बीते आठ वर्षों में उनका लगातार अपमान हुआ, उन्हें मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से थकावट का सामना करना पड़ा। उनके अनुसार, उन्होंने हर संभव दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन उनकी बात को इसलिए नहीं सुना गया क्योंकि उनका सच असुविधाजनक था।

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‘ताकतवर परिवार का मिथक’

इशिता ने उस धारणा पर भी सवाल उठाया जिसमें उनके परिवार को ताकतवर बताया जाता है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई ताकतवर परिवार आठ साल तक चुप रह सकता है। उनके अनुसार, एक ऐसा माहौल बना दिया गया जिसमें कोई भी उनके साथ खड़े होने की हिम्मत न कर सके।

न्याय प्रणाली पर सवाल नहीं, उम्मीद की अपील

पोस्ट के अंत में इशिता ने साफ किया कि वह यह पत्र न तो किसी को डराने के लिए लिख रही हैं और न ही सहानुभूति पाने के लिए। उन्होंने लिखा कि वह सिर्फ यह चाहती हैं कि कानून बिना दबाव और डर के अपना काम करे और सबूतों की निष्पक्ष जांच हो।

चार हफ्ते बाद फिर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई तय की है। अगली सुनवाई में अदालत लोक सेवक से जुड़े मामलों में दोषसिद्धि, जमानत और कानूनी परिभाषाओं पर विस्तार से विचार करेगी। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला एक बार फिर न्यायिक बहस के केंद्र में आ गया है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 29 December 2025, 5:24 PM IST

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