दिल्ली रेप से उन्नाव कांड तक: बदला भारत या बदली चुप्पी? जानें कैसे न्याय की लड़ाई फिर चर्चा में आई

उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन पर रोक लगा दी है। यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सिस्टम, राजनीति और समाज की संवेदनशीलता की कसौटी रहा है। दिल्ली रेप कांड के बाद उभरे जनआक्रोश और आज की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 29 December 2025, 1:41 PM IST
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New Delhi: करीब 13 साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद पूरा देश सड़कों पर उतर आया था। हर वर्ग, हर उम्र और हर विचारधारा के लोग न्याय की मांग को लेकर एकजुट दिखे थे। आज वही भारत है, जहां उन्नाव जैसे जघन्य कांड वर्षों तक चल रहा है लेकिन वैसा व्यापक जनआक्रोश देखने को नहीं मिला। यह सवाल अब फिर उठ खड़ा हुआ है कि क्या हम अपराधों के प्रति असंवेदनशील हो गए हैं?

सुप्रीम कोर्ट का अहम हस्तक्षेप

उन्नाव रेप केस में चार बार विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली राहत पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करते हुए सशर्त जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पीड़िता और उसके परिवार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, वहीं यह न्यायिक प्रक्रिया में संतुलन का संकेत भी देता है।

माखी दुष्कर्म कांड जिसने हिला दी राजनीति

आठ साल पहले सामने आया माखी दुष्कर्म कांड सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं था, बल्कि इसने देश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को भी झकझोर कर रख दिया था। सत्ता के शीर्ष पर बैठे एक प्रभावशाली नेता पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा, जिसने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया।

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चार जून 2017 को हुई मामले की शुरुआत

चार जून 2017 को उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र की एक 17 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया कि कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने आवास पर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता खुद को नाबालिग बता रही थी, लेकिन विधायक के प्रभाव के चलते पुलिस ने शुरुआती दौर में मुकदमा दर्ज नहीं किया।

न्याय की तलाश में दर-दर भटकती पीड़िता

जून 2017 से मार्च 2018 तक पीड़िता और उसके परिवार ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सिस्टम की चुप्पी और सत्ता के दबाव से परेशान होकर आठ अप्रैल 2018 को किशोरी ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया। यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी।

मुकदमा दर्ज और पिता की संदिग्ध मौत

नौ अप्रैल 2018 को आत्मदाह की कोशिश के बाद पुलिस ने कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया। इसी दौरान पीड़िता के पिता को तमंचा रखने और विधायक के भाई अतुल सेंगर से मारपीट के आरोप में जेल भेज दिया गया। 19 अप्रैल 2018 को जेल में उनकी हालत बिगड़ गई और जिला अस्पताल में उनकी मौत हो गई। इस मौत ने मामले को और भी गंभीर बना दिया।

CBI जांच और गिरफ्तारी

16 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। 13 जुलाई 2018 को सीबीआई ने कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह कदम राजनीतिक रूप से भी अहम माना गया।

सड़क हादसा या साजिश?

28 जुलाई 2019 को रायबरेली के गुरुबक्शगंज में पीड़िता, उसके वकील और स्वजन जिस कार से अदालत जा रहे थे, उसे एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। इस भीषण हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसका वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। परिवार ने इसे सुनियोजित साजिश बताया।

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मामले का दिल्ली स्थानांतरण और सजा

अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को उत्तर प्रदेश से हटाकर दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया और पीड़िता परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश दिए। पांच दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया। 20 दिसंबर 2019 को अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 10 लाख रुपये पीड़िता को देने का आदेश दिया गया।

न्याय और समाज की जिम्मेदारी

मार्च 2020 में पीड़िता के पिता की मौत के मामले में भी सेंगर को 10 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। आज जब सुप्रीम कोर्ट ने सजा निलंबन पर रोक लगाई है, तब यह मामला फिर याद दिलाता है कि न्याय केवल अदालतों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशीलता भी उतनी ही जरूरी है।

जानें क्या है निर्भया कांड

16 दिसंबर 2012 की उस भयावह रात को आज 13 साल बीत चुके हैं। दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में एक 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह दरिंदों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने न केवल उसके साथ बारी-बारी सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि लोहे की रॉड से इतनी बर्बरता दिखाई कि उसकी आंतें बाहर निकल आईं। अधमरी हालत में उसे और उसके दोस्त को सड़क पर फेंक दिया गया। कुछ दिनों बाद सिंगापुर में उसकी मौत हो गई। मीडिया और जनता ने उसे 'निर्भया' का नाम दिया- जो डर से परे थी। इस जघन्य अपराध ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। दिल्ली से लेकर देश के कोने-कोने तक लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनों की आग में सरकार को झुकना पड़ा।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 29 December 2025, 1:41 PM IST

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