

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर 28 जुलाई 2025 को लोकसभा में विशेष बहस हो रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संभवत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सैन्य अभियान की रणनीति और सफलता पर पक्ष रखेंगे। यह ऑपरेशन 7 मई को जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमले के जवाब में सिर्फ 22 मिनट में अंजाम दिया गया था। जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे। विपक्ष ऑपरेशन की पारदर्शिता और जानकारी को लेकर सरकार से जवाब मांग रहा है।
राजनाथ सिंह {फाइल फोटो)
New Delhi: देश की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक बन चुके 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर आज 28 जुलाई 2025 को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण बहस होने जा रही है। यह बहस दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। जिसकी शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संबोधन से होगी। बहस से पहले ऑपरेशन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज संसद में पेश किए जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार, यह बहस करीब 16 घंटे तक चल सकती है और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी हस्तक्षेप की संभावना जताई जा रही है। प्रधानमंत्री इस सैन्य अभियान की रणनीति, उसकी सफलता और इसके पीछे भारत की सैन्य क्षमताओं को लेकर अपनी बात रख सकते हैं।
सरकार की व्यापक तैयारी
इस बहस से पहले सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारी की है। रक्षा मंत्री ने CDS जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ कई दौर की रणनीतिक बैठकें कीं। इन बैठकों में लोकसभा में उठने वाले संभावित सवालों और मुद्दों पर चर्चा की गई तथा हर पहलू पर सरकार की तरफ से सटीक जवाब देने की रूपरेखा तैयार की गई है।
विपक्ष भी तैयार, INDIA गठबंधन की रणनीति
विपक्ष भी इस बहस को लेकर पूरी तरह सक्रिय है। INDIA गठबंधन ने सरकार को घेरने के लिए आज एक बैठक बुलाई है, जिसमें संयुक्त रणनीति तैयार की जा रही है। विपक्ष का फोकस ऑपरेशन की पारदर्शिता, जानकारी की समय पर उपलब्धता और राजनीतिक प्रचार को लेकर सवाल खड़े करने पर है।
क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर'?
'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद के खिलाफ चलाया गया एक हाई-प्रोफाइल सैन्य अभियान है। इसकी शुरुआत 7 मई 2025 को हुई, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई। भारतीय सेना ने 6-7 मई की दरमियानी रात 22 मिनट के भीतर यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक कार्रवाई को 'विजय उत्सव' करार दिया और इसे भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक और सैन्य क्षमता की बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन भारत की नई सुरक्षा नीति का प्रतीक है। जिसमें अब आतंकवाद का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।
विपक्ष के सवाल और आलोचना
जहां सरकार इसे ऐतिहासिक सफलता बता रही है, वहीं विपक्ष पारदर्शिता की कमी और असली तथ्यों को छिपाने का आरोप लगा रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस ऑपरेशन को लेकर जनता को पूरी जानकारी नहीं दी गई और इसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। बहस के दौरान विपक्ष इन सवालों को प्रमुखता से उठाएगा।
• ऑपरेशन की योजना कैसे बनी?
• क्या इस पर संसद को पहले से जानकारी दी गई?
• क्या यह सैन्य कार्रवाई केवल राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित की गई?
संभावित असर और राजनीतिक महत्व
'ऑपरेशन सिंदूर' पर हो रही यह बहस सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 2029 के आम चुनावों से पहले सरकार और विपक्ष दोनों के लिए राजनीतिक रूप से अहम साबित हो सकती है। सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा में अपने मजबूत रवैये का प्रमाण मान रही है, जबकि विपक्ष इस पर सवाल उठाकर जनता में संदेह की भावना पैदा करने की कोशिश करेगा।